tag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post1549247431763903073..comments2023-09-28T18:16:39.823+05:30Comments on जोग लिखी संजय पटेल की: ऐ मेरी काली माटी ,वीर प्रसूता,तू कभी बाँझ मत होना ! धन्य हे मेरे देश.sanjay patelhttp://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-47233958414187845472008-08-27T19:28:00.000+05:302008-08-27T19:28:00.000+05:30धन्य हे मेरे देश...जहॉं प्रगति के नाम पर भुखमरी है...धन्य हे मेरे देश...<BR/>जहॉं प्रगति के नाम पर <BR/>भुखमरी है<BR/>जहॉं काल हमेशा <BR/>अकाल बन जाता है<BR/>sundar kavita,sajag kar dene wali panktiyan..राकेश जैनhttps://www.blogger.com/profile/05865088324047258223noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-30459033550584125332008-08-25T15:53:00.000+05:302008-08-25T15:53:00.000+05:30बेहतरीन!बेहतरीन!siddheshwar singhhttps://www.blogger.com/profile/06227614100134307670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-87082003059954534612008-08-17T08:43:00.000+05:302008-08-17T08:43:00.000+05:30वडील बापा जी को प्रणाम और उनके गहरे भाव लिये ये कव...वडील बापा जी को प्रणाम और उनके गहरे भाव लिये ये कविता अज भी कितने अह्सास दे जाती है - आभार सम्जय भाई और आशा है आज़ादी का पर्व और सक्षा बँधन दोनोँ बढिया गुजरे होँगेँ -- <BR/>आपको सस्नेह याद <BR/>- लावण्या <BR/> (आपका दिया हुआ नाम : मोटाबेन :)लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-56043762014344844812008-08-17T00:24:00.000+05:302008-08-17T00:24:00.000+05:30पहरुआ की बात निराली है.इस कविता के भावों में अंत म...पहरुआ की बात निराली है.<BR/><BR/>इस कविता के भावों में अंत में जो आशावाद छिपा है, वही इस नयी सदी को चेलेंज है, नयी पीढी को चेतावनी है.<BR/><BR/>इस कविता को पढ कर एक युवा भी पथभ्रष्ट होने से बच जाये तो यह पोस्ट सार्थक हो जाये.दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-58827801916856765072008-08-16T16:04:00.000+05:302008-08-16T16:04:00.000+05:30मैं कई बार श्री नरहरि पटेलजी को सुन चुका हूं। वे ज...मैं कई बार श्री नरहरि पटेलजी को सुन चुका हूं। वे जिस तरह गा कर पढ़ते हैं उसमें मालवा की ठेठ थूली की मिठास है। यह कविता भी मार्मिक है। बधाई।ravindra vyashttps://www.blogger.com/profile/14064584813872136888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-76121118938697609562008-08-15T22:57:00.000+05:302008-08-15T22:57:00.000+05:30kavita bahut achi lagikavita bahut achi lagiDr. G. S. NARANGhttps://www.blogger.com/profile/12411281026780585162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-20256417712440975992008-08-15T18:30:00.000+05:302008-08-15T18:30:00.000+05:30पूज्य बाबूजी को पढ़ना अच्छा लगा । छठे दशक में मोहभं...पूज्य बाबूजी को पढ़ना अच्छा लगा । छठे दशक में मोहभंग परवान पर था।अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-35666596680356747202008-08-15T16:41:00.000+05:302008-08-15T16:41:00.000+05:30यथार्थ अभिव्यक्ति। वे पहचान गए थे हम ने देश निर्मा...यथार्थ अभिव्यक्ति। वे पहचान गए थे हम ने देश निर्माण के लिए रास्ता गलत चुन लिया है।<BR/>साठ के बाद चालीस बरस गुजर गए। अब तो नया रास्ता तलाशें?<BR/><BR/>आजाद है भारत,<BR/>आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।<BR/>पर आजाद नहीं<BR/>जन भारत के,<BR/>फिर से छेड़ें, संग्राम एक<BR/>जन-जन की आजादी लाएँ।purvahttps://www.blogger.com/profile/12810148869442052071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-10345007640058363962008-08-15T14:49:00.000+05:302008-08-15T14:49:00.000+05:30नरहरि पटेल जी ने यह अनुभव साठ के दशक में किया? धन्...नरहरि पटेल जी ने यह अनुभव साठ के दशक में किया? <BR/>धन्य है मेरे देश जिसमें आधी सदी से जड़ता के बादल छाये हैं, और फिर भी हम धूप निकलने की आस लगाये हैं! <BR/>बहुत अच्छी लगी कविता।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-26878096924422927942008-08-15T13:55:00.000+05:302008-08-15T13:55:00.000+05:30साठ साल पहले भी यही हाल था?मैं यूं ही मायूस हुए जा...साठ साल पहले भी यही हाल था?<BR/>मैं यूं ही मायूस हुए जा रहा था कि दिन दिन देश की हालत बिगड़ती जा रही है। <BR/>बहुत ही शानदार कविता। मैथीलीजी के सुझाव से मैं भी सहमत्त हूँ।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-73782555597379991172008-08-15T12:42:00.000+05:302008-08-15T12:42:00.000+05:30विष्णु बैरागी जी से सहमति "साठ के दशक की नहीं, यह ...विष्णु बैरागी जी से सहमति "साठ के दशक की नहीं, यह तो हमारे आज की कविता है"<BR/><BR/>संजय जी, यदि आप इसका बाबूजी की आवाज में रिकार्ड करके पोडकास्ट करें तो एक धरोहर होगी हमारे लिये.मैथिली गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/09288072559377217280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-67945802995981378802008-08-15T09:57:00.000+05:302008-08-15T09:57:00.000+05:30धन्य है मेरे देश...जहॉं जीवन को सुधारने कीउद्धारने...धन्य है मेरे देश...<BR/>जहॉं जीवन को सुधारने की<BR/>उद्धारने की<BR/>बड़ी-बड़ी योजनाएँ हैं।<BR/>लेकिन योजना के नाम पर<BR/>विदेशी उधार बरक़रार<BR/>भाखड़ा नांगल और चम्बल में<BR/>बड़ी-बड़ी दरार<BR/>देशभक्तों में काला बाज़ार।<BR/>स्वार्थ, फ़रेबियों की भरमार<BR/>ओठों पर जय-हिंद का उच्चार<BR/><BR/>आज के हालत पर है यह पंक्तियाँ ..आजादी पर्व की बधाईरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-63587711822513486252008-08-15T09:49:00.000+05:302008-08-15T09:49:00.000+05:30साठ के दशक की नहीं, यह तो हमारे आज की कविता है । य...साठ के दशक की नहीं, यह तो हमारे आज की कविता है । यह उन लोगों की बात है जिनकी आवाज दिल्ली तक नहीं पहुंचती ।<BR/>आजादी की सुबह हम हकीकत से रू-ब'रू हों, अपनी जिम्मेदारी अनुभव भी करें और कबूल भी ।<BR/><BR/>आपको धन्यवाद और नरहरिजी को साधुवाद ।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-7516866022303794492008-08-15T09:17:00.000+05:302008-08-15T09:17:00.000+05:30यही प्रार्थना हैहे फूलों की घाटी के देशतेरी स्वाधी...यही प्रार्थना है<BR/>हे फूलों की घाटी के देश<BR/>तेरी स्वाधीन ग्रन्थि की बेला में<BR/>अब कोई ग़मगीन शाम मत होना।<BR/>ऐ मेरी काली माटी<BR/>वीर प्रसूता<BR/>तू कभी बॉंझ मत होना! <BR/><BR/>बेहतरीन व सामयिक प्रस्तुति। स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें..<BR/><BR/><BR/>***राजीव रंजन प्रसाद<BR/><BR/>www.rajeevnhpc.blogspot.com<BR/>www.kuhukakona.blogspot.comराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-29693246403573469302008-08-15T08:14:00.000+05:302008-08-15T08:14:00.000+05:30स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com