tag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post3177301100629834165..comments2023-09-28T18:16:39.823+05:30Comments on जोग लिखी संजय पटेल की: मालवा की काव्य सुरभि को समृद्ध करने वाले सुमन का जन्मदिनsanjay patelhttp://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-55280246375020642742007-09-09T23:25:00.000+05:302007-09-09T23:25:00.000+05:30सुमनजी को मंच पर सुनने का अवसर लड़कपन में मुझे भी ...सुमनजी को मंच पर सुनने का अवसर लड़कपन में मुझे भी मिल चुका है। विक्रम विश्वविद्यालय के अन्तर्गत आने वाले कॉलेज से ही मैने स्नातकोत्तर शिक्षा भी हासिल की। जहां तक मुझे याद पड़ता है सुमन जी और बच्चनजी का अवसान कुछ ही महिनों के अंतराल में हुआ। और इसी के साथ हिन्दी की कविता को मंच पर प्रतिष्ठित करने वाली एक समूची पंक्ति ही मानों धुंधली होते होते मानो अनंत में विलीन हो गई।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-37566445111322244502007-09-06T01:10:00.000+05:302007-09-06T01:10:00.000+05:30संजय भाई आज मन लाव्न्या से मिली - उससे आपके बारे म...संजय भाई आज मन लाव्न्या से मिली - उससे आपके बारे में सुनकर आश्चर्य और खुशी भी मिली इनडोर आने पर विस्तार से बात करेंगे <BR/><BR/>वाह रे पट्ठा भरी करी मैंने आगे चलाई है वहाँ आने पर सुनाऊंगी ..शेष शुबहा मिलने पर ..पिताजी को नमस्कार <BR/><BR/>वंदना आंटीलावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-10093373713863823552007-08-27T11:13:00.000+05:302007-08-27T11:13:00.000+05:30बचपन से ही डाँ. शिवमंगल सिंह सुमन को पढ़ता आया हूं...बचपन से ही डाँ. शिवमंगल सिंह सुमन को पढ़ता आया हूं। एक बार उन्हें मंच पर सुनने का भी अवसर मिला था। वाकई में उन्हें सुनना एक सुखद अनुभव रहा है। लेकिन जहां कविता के कद्रदान न हों, मामला सतही हो, वहां कविता के साथ क्या होता है, इस संबंध में मुझे एक वाक्या याद आ रहा है। दूरदर्शन पर कवि सम्मेलन चल रहा था। सुनने वाले वाह-वाह कर रहे थे। फिर सुमन जी कविता कहने के लिये उठे। वाह-वाह की आवाजें आनी बंद हो गईं। माहौल में खामोशी छा गई। वह इसिलये कि वहां मौजूद लोग सुमन जी की कविता की गहराई को समझ ही नहीं पा रहे थे। उनकी समझ का वह स्तर ही नहीं था। उस दिन के बाद भी दूरदर्शन पर कवि सम्मेलन तो बहुत आये लेकिन फिर कभी सुमन जी वहां मंच पर दिखाई नहीं दिये। औऱ आज हास्य के नाम पर टीवी पर जो हो रहा है वह तो आप लोग देख ही रहे होंगे।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09390660446989029892noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-10119560199275499692007-08-18T15:33:00.000+05:302007-08-18T15:33:00.000+05:30आभार आप सभी का. वे हम सब के मन के सुमन थे. जितने ओ...आभार आप सभी का. वे हम सब के मन के सुमन थे. जितने ओजस्वी वक्ता उतने कर्मठ प्रशासक,जितने परिश्रमी स्वाध्यायी उतने प्रेमल कवि,मुझे लगता है वे यदि प्रशासकीय दायित्वों में न व्यस्त रहते तो महादेवी,पंत,प्रसाद,दिनकर,निराला,फ़िराक़ और बच्चन के साथ हम उन्हे भी अपनी स्मृतियों में क़ैद रखते.दाग़,मोमिन,ग़ालिब,मीर,फ़िराक़ जैसे स्वनामधन्य शायरों को वे जिस तरह कोट करते थे वैसा कोई दूसरा वक्ता हिन्दी पट्टी में याद नहीं आता.उ.प्र.साहित्य अकादमी के तत्वावधान में महज़ सौ रूपये में उपलब्द हिन्दी-उर्दू शब्दकोश तभी जारी हुआ था जब सुमनजी अकादमी के उपाध्यक्ष थे.उनकी एक तस्वीर भी मेरी प्रविष्टि में जोड़ कर अपडेट कर रहा हूँ.पिता श्री नरहरि पटेल की सुमन जी को समर्पित एक मालवी रचना भी www.malvijajam.blogspot.com पर पढ़ियेगा.<BR/>प्रणाम सुमनजी.sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-44545657686759598682007-08-18T10:43:00.000+05:302007-08-18T10:43:00.000+05:30जै श्री कृष्ण तमने ..शिव मँगल सिँह सुमन जी ने पापा...जै श्री कृष्ण तमने ..<BR/>शिव मँगल सिँह सुमन जी ने पापा जी पर लेख लिखा है उसे अब शीघर ही छाप दूँगी <BR/>आप मेरी दी हुई ये लिन्क अवश्य देखियेगा -<BR/>http://wms17.streamhoster.com/vhs2007/vhs-19.wmv <BR/>स स्नेह,<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-5439386261922070532007-08-18T09:43:00.000+05:302007-08-18T09:43:00.000+05:30धन्यवाद जी आपने याद तो दिलाई..इन्हे हम अपने पाठ्य ...धन्यवाद जी आपने याद तो दिलाई..इन्हे हम अपने पाठ्य पुस्तको मे पढते थे..Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-7300258370739708052007-08-18T09:05:00.000+05:302007-08-18T09:05:00.000+05:30संजय भाई आपने शिवमंगल सिंह सुमन की अच्छीh याद दिला...संजय भाई आपने शिवमंगल सिंह सुमन की अच्छीh याद दिलाई । उन भाग्यभशाली लोगों में शामिल हूं जिन्होंuने उन्हें मंच पर पढ़ते देखा सुना है, आप जितना भाग्यमशाली नहीं । इंदौर या उज्जैउन में नहीं रहा ना । पर हां उन्हेंश पढ़ा खूब है । आज अनायास ही उनकी वो कविता याद आ रही है—तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार, आज सिंधु ने विष उगला है, लहरों का यौवन मचला है, आज हृदय में और सिंधु में फड़क उठा है ज्वा,र । स्मृलति पर आधारित पंक्तियां हैं शब्दों का हेर फेर हो सकता है । सुमन दद्दा को नमन ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-65054669896468845672007-08-18T07:25:00.000+05:302007-08-18T07:25:00.000+05:30आपने सुमन जी की याद दिला दी. मैं परिवार के साथ क्ष...आपने सुमन जी की याद दिला दी. मैं परिवार के साथ क्षिप्रा एक्सप्रेस में जा रहा था. पास के कूपे में सुमन जी थे. हमने उनका चरण स्पर्श किया था. मेरी बिटिया के पास उनके ऑटोग्राफ भी हैं. बहुत देर तक उनसे चर्चा हुई थी. <BR/>लेख के लिये धन्यवाद.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-68471607641855232652007-08-18T06:21:00.000+05:302007-08-18T06:21:00.000+05:30बहुत सुंदर प्रस्तुति. आनन्द आ गया शिवमंगल सिंह सुम...बहुत सुंदर प्रस्तुति. आनन्द आ गया शिवमंगल सिंह सुमन जी पर यह आलेख पढ़कर.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com