tag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post6273971285986563917..comments2023-09-28T18:16:39.823+05:30Comments on जोग लिखी संजय पटेल की: ’गँवई मन और गाँव की याद’sanjay patelhttp://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-18142922538049935432008-04-28T00:27:00.000+05:302008-04-28T00:27:00.000+05:30" किसी गीत की अंगुली पकड़कर गणेशजी लड़की वाले का पत..." किसी गीत की अंगुली पकड़कर गणेशजी लड़की वाले का पता पूछते-पूछते विवाह घर आते और एक बुज़ुर्ग की तरह सारे कामों को निर्विघ्न सम्पन्न करवा कर ही लौटते...<BR/><BR/>लड़की की बिदाई पर पिता के रोने से गंगा में बाढ़ आ जाती.माँ के रोने से आकाश में अंधेरा छा जाता और भाई के रोने से उसकी धोती पाँवों तक भीग जाती.ब्याह के मांगलिक गीतों में मानसरोवर की तरह पिता,भरे पूरे भण्डार की तरह ससुर,बहती गंगा की तरह माँ, भरी पूरी बावडी़ तरह सास, गुलाब के फूल की तरह बच्चे और उगते सूर्य की तरह स्वामी के रूप में "<BR/><BR/>आह ...कितना पावन और मनोहारी रुप दीखलाया है -<BR/>मन प्रसन्न होगया !<BR/>स्नेह,<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-11819362221797783582008-04-27T10:16:00.000+05:302008-04-27T10:16:00.000+05:30गाँवों में बसने वाले भारत को कितनी सचाई से बयाँ कि...गाँवों में बसने वाले भारत को कितनी सचाई से बयाँ किया है उपाध्यायजी ने. खुद खरा जीवन जीने वाले कलमकार ही ऐसा सच्चा लेखन कर सकते हैं.विस्मृत होते जा रहे ऐसे कालजयी लेखक को ब्लाग मित्रों के बीच लाने के लिये साधुवाद.एक पंक्तिhttps://www.blogger.com/profile/09512951673791168585noreply@blogger.com