tag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post7663237631425736564..comments2023-09-28T18:16:39.823+05:30Comments on जोग लिखी संजय पटेल की: ले लो, ले लो झुमके अमलतास केsanjay patelhttp://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-69783983808929181112021-05-06T12:21:09.858+05:302021-05-06T12:21:09.858+05:30बहुत सुंदर वर्णनबहुत सुंदर वर्णनDr.Kavita Agrawalhttps://www.blogger.com/profile/04203772336117892543noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-46756310094654401012019-04-27T10:59:19.722+05:302019-04-27T10:59:19.722+05:30अवर्णनीय},,,,बहुत सुंदर अमलतास 👍💐💐💐अवर्णनीय},,,,बहुत सुंदर अमलतास 👍💐💐💐Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01350871639892943517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-65878548229308643922010-06-29T01:02:56.632+05:302010-06-29T01:02:56.632+05:30सुन्दर,सुन्दर,सुन्दर हृदयस्पर्शी.....सुन्दर,सुन्दर,सुन्दर हृदयस्पर्शी.....संजय पाराशरhttps://www.blogger.com/profile/04828183013579900184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-34184885481694078162010-06-04T20:01:12.491+05:302010-06-04T20:01:12.491+05:30काश ....प्रकृति से मनुष्य ऐसे खिलवाड़ करना बंद कर ...काश ....प्रकृति से मनुष्य ऐसे खिलवाड़ करना बंद कर दे ..<br />संजय भाई अमलतास के फूल , देहली गयी थी तभी देखे थे ..और बेहद सुन्दर लगे थे - <br />हर प्रांत के पेड़ , उसकी सुन्दरता बढाते हैं ..बंबई की तेज़ बारिश में झूमते नारीकेल के पेड़ भी गज़ब दीखते हैं <br />आपकी कलाकार की द्रष्टि है मानवता का रंग लिए ...उसे सलाम ! <br />उदय भाई की बातें भी दिल को टीस दे गयीं ...हरियाली से विमुख हम, क्या सुख पायेंगें ? <br />स स्नेह,<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-40466549133915520482010-06-02T21:45:43.825+05:302010-06-02T21:45:43.825+05:30झूल रहे चमकीले सौ-सौ फ़ानूस
इंक़लाब ? पीली तितलियों ...झूल रहे चमकीले सौ-सौ फ़ानूस<br />इंक़लाब ? पीली तितलियों के जुलूस<br />सूरज के घोड़े बहके<br />ऐसी आग,<br />धूप निकल भागी है,बिन लिबास के<br />बहुत ही सुन्दर कवितादीपक गर्गhttps://www.blogger.com/profile/10555340998096275789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-85097345646112632732010-05-08T23:42:35.678+05:302010-05-08T23:42:35.678+05:30उस दिन नहीं लिख सका, मगर फ़िर लौटा हूं, मन की बात ...उस दिन नहीं लिख सका, मगर फ़िर लौटा हूं, मन की बात कहनें.<br /><br />पिछले तीन महिनों से रोज़ ऒफ़िस पैदल आते जाते यहीं से गुज़र रहा था.मगर प्रकृति की ये सुंदर रचना और इसके जैसे अलग अलग शाहकार नज़रों के सामने होते हुए भी नोटिस नहीं किया.<br /><br />अब सुबह टहलने के समय नज़रिया बदल गया है, और डेली कॊलेज में फ़ूलों की बहार देखकर रोज़ याद करता हूं तुम्हे.दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-89119890413302959502010-05-03T02:21:05.297+05:302010-05-03T02:21:05.297+05:30बहुत ही सुन्दर लिखा है संजय भाई.
आजकल वाकई ये दौलत...बहुत ही सुन्दर लिखा है संजय भाई.<br />आजकल वाकई ये दौलत अनदेखी रह जा रही है....कारण उसके कई हैं. <br />नज़ारे के लिए नज़र ज़रूरी है. <br />(आपको बधाई कि आप एक खूबसूरत नज़र के मालिक हैं.)<br /><br />-अवधेश प्रताप सिंह <br />इंदौरयाराhttps://www.blogger.com/profile/02385182678617595327noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-10670900103176140222010-05-02T10:26:08.521+05:302010-05-02T10:26:08.521+05:30bahut khub
badhai is ke liye aap kobahut khub <br /><br /><br />badhai is ke liye aap koShekhar Kumawathttps://www.blogger.com/profile/13064575601344868349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-41233074755842818052010-05-01T19:54:01.104+05:302010-05-01T19:54:01.104+05:30संजय भाई ,
मेरे शहर ने अभी अभी ५०० हरे .लहलहाते पे...संजय भाई ,<br />मेरे शहर ने अभी अभी ५०० हरे .लहलहाते पेड़ न्यौछावर किये हैं एक अदद बिगबाज़र टाइप माल के लिए ..देखिये तो हम कितना फल फूल रहे हैं ..उदय जी की टिपण्णी के घाव हरा कर दियापारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-5199878889976095982010-05-01T18:46:00.894+05:302010-05-01T18:46:00.894+05:30अपने महबूब रचनाकार उदयप्रकाशजी से मिला प्रतिसाद अम...अपने महबूब रचनाकार उदयप्रकाशजी से मिला प्रतिसाद अमलतास के फूलों की तरह ही दमक रहा है मेरे मन में. अपने अपार्टमेंट के नीचे जिस अमलतास के कटने का ज़ख़्म उन्हें साल रहा है वैसे कई अमलतास रोज़ कट रहे हैं.हम नहीं जानते हम क्या खो रहे हैं,...दद्दा शुक्राना आपका...आप मेरे चिट्ठाघर आए...sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-6965790772505418222010-05-01T17:31:51.418+05:302010-05-01T17:31:51.418+05:30सुंदर, संस्पर्शी पोस्ट!
१३ साल उत्तर दिल्ली के रोह...सुंदर, संस्पर्शी पोस्ट!<br />१३ साल उत्तर दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहने के बाद जब वैशाली के इस घर में आया तो उसका सबसे बड़ा कारण था अमलताश का पेड़, जो ठीक मेरी बालकनी के नीचे से उगा था और जिसकी छितराई हुई टहनियां, बालकनी के समानांतर फिली हुई थीं। बाहें पसारे। किसी फूलों भरी छतरी की तरह। लगभग २ साल ऐसा ही रहा। ...फिर एक दिन सुबह सुबह देखा तो अमलताश टूटा हुआ पड़ा था। दोपहर तक म्युनिस्पैलिटी उसका शव उठा ले गयी। पता चला, नीचे, बेसमेंट में कोई दूकान खोलना चाहता था। उसने कोई रसायन उसकी जड़ों में डाल दिया था। <br />अब बालकनी के सामने विकसित बियाबां है। वहां से शापिंगमाल और बहुमंजिला आवासीय इमारतें दिखई देती हैं....और एक पाच सितारा होटल, जो दुनिया का 'पहला प्रामाणिक शाकाहारी' 'The First and Only Vegetarian Five Star Hotel' होने का दावा करता है। शायद सूर्भानु गुप्त (जाने अब वे कहां हैं?) की पुरानी गज़ल के कुछ टुकड़े याद आते हैं :<br />मिलेंगे साये में, अब किसके रोज़ दो साये,<br />किसी ने काट गिराया, नदी के पार का पेड़।''<br />''तमाम उम्र रहा हूं मैं इस कदर तनहा,<br />मेरी चिता के लिए लाओ देवदार का पेड़।''<br />''गौर से देखो तो उस आंख में नमी-सी है.<br />लिपट के रोया है किससे ये हरसिंगार का पेड़।''Uday Prakashhttps://www.blogger.com/profile/07587503029581457151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-18130928746845136402010-05-01T15:37:11.184+05:302010-05-01T15:37:11.184+05:30मुझे प्रकृति के हर रंग जीवन के रंगॊं के समान लगतॆ ...मुझे प्रकृति के हर रंग जीवन के रंगॊं के समान लगतॆ है, सुर्ख हो या हल्के, उष्ण हो या शीतल, <br />ज़िन्दगी भी हर इन रंगों के मानिंद बसर होती है, ......... आप का ब्लाग पढ़ा, बहुत अच्छा लगाUnknownhttps://www.blogger.com/profile/09963720891587786828noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-75447271309096218872010-05-01T15:36:52.117+05:302010-05-01T15:36:52.117+05:30मुझे प्रकृति के हर रंग जीवन के रंगॊं के समान लगतॆ ...मुझे प्रकृति के हर रंग जीवन के रंगॊं के समान लगतॆ है, सुर्ख हो या हल्के, उष्ण हो या शीतल, <br />ज़िन्दगी भी हर इन रंगों के मानिंद बसर होती है, ......... आप का ब्लाग पढ़ा, बहुत अच्छा लगाUnknownhttps://www.blogger.com/profile/09963720891587786828noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-31611027902101770332010-05-01T15:05:15.429+05:302010-05-01T15:05:15.429+05:30बहुत ही प्यारा विषय, चित्रण व कविता ।बहुत ही प्यारा विषय, चित्रण व कविता ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3319406515610187250.post-42471923563126686572010-05-01T14:22:53.353+05:302010-05-01T14:22:53.353+05:30"शानदार पोस्ट;सुन्दर चित्र;अभूतपूर्व कविता और..."शानदार पोस्ट;सुन्दर चित्र;अभूतपूर्व कविता और शीर्षक.."Amitraghathttps://www.blogger.com/profile/13388650458624496424noreply@blogger.com