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Saturday, June 21, 2008

सात गीतों के साथ -आज की रात - करें सात सुरों की बात !

आज विश्व संगीत दिवस की इस रात मेरे शहर इन्दौर
में घने बादल छाये हुए हैं.संगीत सुनने का ऐसा समाँ
मिल जाए तो क्या बात है. आपके लिये सजाई है मन
को ख़ुशी देने वाली ऐसी सात धुनें जो अपने आप में
कविता और संगीत की दृष्टि से पूरे एक दौर की नुमाइंदगी
करती है. सहगल,नूरजहाँ,सुरैया,रफ़ी,आशा,तलत और लताजी;
सात सुर शिरोमणि इस महफ़िल में मौजूद हैं.

इस प्ले-लिस्ट में नूरजहाँ और आशा भोसले की बंदिशों
पर विशेष ध्यान दीजियेगा। नूरजहाँ जी की
रचना पाकिस्तान में रेकॉर्ड हुई है जबकि आशाजी वाली
जिस रचना की बात मैं कर रहा हूँ उसमें राग मारवा
का जादू बिखरा है. संगीतकार रवीन्द्र जैन का कारनामा ज़रा
कम ही सुना गया है।

आज देर रात तक संगीत ही सुनियेगा...
कल देर से सो कर उठ सकते हैं...रविवार जो है.....
मादक संगीत की थपकियाँ आपके ख़्वाबों को सुहाना बनाए.आमीन !

मेरे शहर के शायर साबिर सहबा का शेर याद आ गया....

पढ़ के सोया थे चंद ख़ुतूत
रात भर ख़्बाब सुहाने आए



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