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Sunday, February 24, 2008

यशस्वी कवि बालकवि बैरागी श्रीनिवास जोशी सम्मान से नवाज़े गए


इंदौर में आज २४ फ़रवरी की फ़ागुनी दोपहर में श्री बालकवि बैरागी को दूसरा श्रीनिवास जोशी सम्मान हिन्दी की अनथक सेवा करने वाली संस्था श्री म.भा.हिन्दी साहित्य समिति के तत्वावधान में दिया गया. बड़ी संख्या में मालवीप्रेमियों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की. नईदुनिया के प्रबंध संपादक श्री अभय छजलानी के मुख्य-आथिथ्य में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जाने माने कवि पं.सत्यनारायण सत्तन ने की.श्रीयुत श्रीनिवास जोशी की धर्मपत्नी श्रीमती वंदना जोशी एवं समिति के पदाधिकारियों ने बालकविजी का स्वागत किया. बालकविजी ने भरे गले इस सम्मान पर प्रतिभावना व्यक्त करते हुए अपने अग्रजों को याद किया. आपने कहा कि ये सम्मान मेरे अकेले का नहीं पं.सूर्यनारायण व्यास,डाँ श्याम परमार,बसंतीलाल बम, आनंदराव दुबे,भावसार बा,हरीश निगम,गिरिवरसिंह भँवर,नरेन्द्रसिंह तोमर,नरहरि पटेल जैसे सभी मालवी-सेवियों का है. आपने कहा कि जब हिन्दी के सामने ही अस्तित्व का संकट है तो बोलियों की सुरक्षा के लिये तो हमें ही आगे आना होगा. आपने कहा कि निराश होने की ज़रूरत नहीं है .एक नई पीढ़ी तैयार है जो मालवी में अच्छा काम कर रही है. आपने नईदुनिया के साप्ताहिक स्तंभ थोड़ी घणी की भूरि भूरि प्रशंसा की और कहा कि ऐसे सार्थक प्रयत्नों से ही बोली बचेगी. आपने कहा कि ये मेरा संकल्प रहा है कि हिन्दी काव्य - पाठ के समय कम से कम एक मालवी रचना तो सुनाऊं ही. आपने कहा कि मालवी कविता पढ़ते पढ़्ते आपका ये बैरागी इनकमटैक्स भरने के लायक भी हो गया. उल्लेखनीय है कि बैरागी जी अपने बचपन में भीषण अभाव और ग़रीबी का सामना पूरे जुझारूपन के साथ किया है. मंगते से मंत्री और बैरागी की डायरी में उन्होंने बड़ी बेबाकी से अपने अभावों को व्यक्त किया है. लम्बे समय के बाद इन्दौर में मालवी परिवार का ऐसा भरा पूरा जमावड़ा नज़र आया और आस बंधी कि अभी भी मालवी के चाहने वालों की कमीं नहीं है.बालकविजी नें अपने वक्तव्य के अंत में कुछ मालवी गीत सुनाकर उपस्थित श्रोता समुदाय को अपनी कहन के फ़ागुनी छींटों से भीगो दिया। ख़ाकसार ने कार्यक्रम का सूत्र - संचालन किया.