Sunday, April 15, 2007

गुम होते जा रही रिश्तों की खुशबू


गुम होती जा रही ब्याह शादियों की आत्मीय महक
शादी ब्याह का सीजन बहार पर है...क्या रौनक है भाई.डेकोरेशन देखिए,फैशन देखिए,लटके- झटके दिखिये,वैभव और दिखावे की धूम है इन दिनों .सारा काम टर्न की बेसिस वाला हो गया है आजकल .फ़ोन घुमाईये सारा इंतजाम हो जाएगा.आप तो बस चैक बुक साथ रखिये अपने पास.जज्बा होना चाहिए खर्च करने का.बस दूल्हा - दुल्हन ही बाज़ार मे नहीं मिल पा रहे हैं....बाकी तो सब तैयार है हुज़ूर। बोलो जी तुम क्या क्या खरीदोगे ?गुम है तो बस भावनाएं ..आत्मीयता ...सब कुछ रस्मी हो चला है...और तो और...घर में गाये -बजाने वाले गीते भी अब इवेंट मैनेजर को सौंपे जा रहे हैं.बड़ी धूम मची है संगीत आयोजनों की...नाचे जा रहे हैं क़मर हिला हिला के...एक उन्माद है ...होड़ है ...हमारा जलसा सबसे महंगा...सबसे चमकीला ...सबसे चर्चित और सबसे ज़्यादा रौनक वाला हो...पर भाई एक बात पूछना चाहता हूँ आपसे ये सारा दिखावा कर के आप अपने से छोटी हैसियत वालों को क्या संदेश दे रहें हैं .सचाई ये है कि competition के इस दौर में हम बताना चाहते हैं कि हम दूसरों से कितने आगे हैं.दिल कि रिश्तों से हमे क्या लेना-देना .हमारी झांकी हो जाये बस ...जो नहीं कर पाते वो जलते हैं ...आप सहमत होंगे कि इन महंगी रस्मों में से वो खुशबू गुम है जिनसे झलकता तो असीम स्नेह ..प्यार और ख़ुलूस .हम क्या थे ...क्या हो गए ...क्या होंगे....हां याद आई एक बात...पिछले दिनों एक मराठी लेख मे पढा कि इन्सान कि फितरत क्यों बदलती जा रही है....लिखनेवाले बड़ी पते की बात कही....हम भोजन करने का अच्छा काम घर में करते थे...अब इस काम के लिए होटल जाने लगे ....शौच जैसा कार्य बाहर करते थे .....वो अब सिरहाने लगे attached bathroom में करने लगे......ज़माना आगे जाए किसे बुरा लगता है ...सोच को आगे ले जाने मे कोइ हर्ज़ नहीं लेकिन परम्पराओं से मिली अच्छाईयों को भी मत बिसराइये.नये से नया लीजिये ...पुराने को खारिज मत कीजिये.अच्छे बने रहने में अच्छाई है जैसे दूध में मलाई है.जय हो.

2 comments:

Unknown said...

बहुत सही लिखा संजय जी,
और इन शादियों में बेचारे गरीब रिश्तेदारों की हालत तो और भी ज्यादा खराब होती है, जिन्हें ना घराती पूछते हैं, ना बाराती... पैसा नहीं तो रिश्ता नहीं, ये काम हो गया है अब तो...और ब्लोग के नीचे जो फ़ोटो चिपकाया है जरा जवानी वाला चिपकाईये ना...माशाअल्लाह अभी तो आप...

sanjay patel said...

jawaani to dil ki chaaheeye sureshbhai.ham beet rahe hain is baat se baakhabar rahne me hee saar hai....45 ka ho chala hoon.ab jawan dikh kar kya karoonga..ha ek bahut lambi list hai doston kee jo mere jawaan dil se bahut achchhee tarah se wakif hain...wo dil jisme kuch pyaaree pustaken aur sangeet mahakta hai.
phir bhee mera khayaal rakhne ke liye shukriya.
sanjay