Tuesday, November 6, 2007

जीवन में बरसे कुछ और धन....



धन-तेरस की पूर्व संध्या...

मन कर रहा है कुछ अलग कामनाएँ

चाह रहा है जीवन में बरसे कुछ और धन


वह नहीं जिसकी लालसा का अर्थ है.
....सिर्फ़ अर्थ

शेष सभी व्यर्थ


बरसे आरोग्य का धन

सदभावना का धन

लगे कुछ कला में

कुछ संगीत में आपका मन


पर्यावरण के लिये होवें आप सचेत

न होने पावे ये हरितिमा रेत

संबंधों की बनी रहे हरियाली

कुछ कम प्रदूषण वाली हो दीवाली


चाँदी के सिक्के ज़रूर ख़रीदकर लाएँ

लेकिन मन को भी चमचमाएँ

क्रोध,तमस और दूर हों विकार

प्रेम से पगा हो दीपों का त्योहार


अनुजों से बढ़े प्यार

बुज़ुर्गों का हो सत्कार

ग़रीब का बना रहे आत्म-सम्मान

विरासत का भी रहे ध्यान


मन के उजाले से जगमगाए दीवाली

अबके बरस कुछ कम आवाज़ और अधिक सुरक्षा वाली.

13 comments:

Sanjeet Tripathi said...

ऐसा ही हो!!!

बढ़िया कामना बढ़िया अंदाज़ में!!

शुभकामनाएं आपको!!

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

बेहतरीन प्रस्तुति सँजय भाई, 'धन तेरस " आ ही गई ...आपने सारी बातेँ बडे पते की याद करवा दीँ जिसके लिये, आभार के साथ साथ, दीपावली मँगलमय हो उसकी शुभेच्छाएँ भी स्वीकारेँ परिवार के सभी के लिये हम सभी की, दीपावली की शुभ कामना सह:
-- लावण्या

मीनाक्षी said...

शुभकामनाओं से जगमग कविता मन मे एक उजाला सा भरती जा रही है.
आपको और पूरे परिवार को दीपावली की मुबारक... प्रकाश पर्व मंगलमय हो !

पारुल "पुखराज" said...

सुदंर पंक्तियां……आपको व आपके परिवार जनो> को बहुत बहुत शुभकामनाएं

aarsee said...

जरूर अब लोग आपकी बात जरूर याद रखेंगे

Udan Tashtari said...

मन के उजाले से जगमगाए दीवाली
अबके बरस कुछ कम आवाज़ और अधिक सुरक्षा वाली.


--सुन्दर संदेश. आपको भी दीपावली की बहुत शुभकामनायें.

sanjay patel said...

आप सभी को धनतेरस की असीम शुभकानाएँ और मेरे शब्द-घर में आने आने के लिये शुक्रिया.

नितिन | Nitin Vyas said...

"पर्यावरण के लिये होवें आप सचेत
न होने पावे ये हरितिमा रेत
संबंधों की बनी रहे हरियाली
कुछ कम प्रदूषण वाली हो दीवाली"

बहुत खूब!!

दीवाली की शुभकामनायें।

बालकिशन said...

उचित संदेश और इस सदकामाना के लिए आभार स्वीकारे. एक प्रार्थना भगवान् से -आपका लिखा अक्षरस: सत्य हो.

पुनीत ओमर said...

अकेला हूँ, घर से दूर हूँ इस दीवाली पर.
लेकिन परम्परा भी निभानी हिया तो एक स्टील की चम्मच खरीद लाऊँगा रात को.
धन न हो तो तेरह तो बजने ही हैं..

sanjay patel said...

आप सभी की मने धन तेरस रंगतदार
लछमी मैया आवे आपके द्वार
मिले धन , मिले मान , मिले सत्कार
आरोग्य मिले,और मिले यश अपार

Yunus Khan said...

ऐसा लगा कि हम मध्‍यप्रदेश में हैं ।
भाषा अंदाज़ और भावों की ईमानदारी ।
संजय भाई यही कहूंगा तथास्‍तु ।

sanjay patel said...

सभी को भावपूर्ण साधुवाद...
दीवाली हो मन के वैभव वाली...
आमीन.