Wednesday, November 7, 2007

कुछ ऐसे भी मन सकती है दीवाली....मन तो बनाइये !


मल्टीस्टोरी बिल्डिंग या अपनी कॉलोनी की एक लेन संयुक्त रूप से पटाख़े ख़रीदे और मिल कर मनाए दीवाली ; ख़र्च और प्रदूषण दोनो कम ; पारिवारिकता का विस्तार।


बाज़ार में इन दिनो आवाजाही ज़्यादा होती है ; ऐसे में व्यापारिक संघ तय करें कि बाज़ार की सड़क पर पटाख़े न फ़ोडे जाएँ।महिलाएँ , बच्चे बाज़ार में बड़ी संख्या में मौजूद रहते हैं अत: उन्हे इस सकारात्मक पहल से निश्चित राहत मिलेगी।


बच्चों को प्रेरित करें कि वे पटाख़ों पर कम ख़र्च करें;एकदम तो आप उन्हें रोक नहीं सकतेलेकिन ज़्यादा आवाज़ और ऊपर आसमान में जाकर फ़ूटने वाले पटाख़ों और रॉकेटों के इस्तेमालको कम ज़रूर कर सकते हैं।


त्योहारी बेला में भी मनुष्यता और सदाशयता जैसे मूल्यों के लिये सचेत रहें।यदि आप जानते हैं कि मोहल्ले में कोई ग़मी हुई है,किसी के परिवार में कोइ नव -प्रसूता या नवजात शिशु है या किसे परिवार में कोई अत्यधिक बीमार हैतो कोशिश करें कि ऊँची आवाज़ वाले पटाख़े उपयोग में न लाकर हम अच्छे नागरिक कहलाने का आत्मसंतोष प्राप्त कर सकते हैं.त्योहार तो मने ; इंसानियत के तक़ाज़े न घटें।


बड़े अपनी निगरानी में ही बच्चों को पटाख़े फ़ोड़ने दें।ऐसा कभी न करें कि पटाख़े बच्चों के हवाले कर दें और आप शहर की रौनक़ देखने या मित्रों के साथ ताश खेलने निकल पड़ें.


सार्वजनिक से घूमने वाली गाय,कुत्तों और परिंदों के प्रति हम मानवीय रहें;बच्चे इन मूक प्राणियों को नाहक परेशान न करें ऐसी प्यार भरी नसीहत दें।



मिठाइयाँ,नमकीन और मेवे उतने ही ख़रीदें जितने अतिथि आप अपेक्षित करते हों; पैसे और व्यंजनों का अपव्यय न करें।


नई पीढी को प्रेरित करें कि वे अपने दोस्तो के अलावा अपने रिश्तेदारों,कॉलोनी के बुज़ुर्गों को जाकरभी दीपावली अभिनंदन करें ; उनके प्रति आदर व्यक्त करें।कई बार बच्चे आपके साथ दीपावली मिलन औरनव-वर्ष अभिनंदन में जाना पसंद नहीं करते.उन्हें समझाएँ कि सामाजिकता के नज़रिये से ऐसा करनाज़रूरी है.थोड़ा कठिन है ये सब ; लेकिन यदि हम बच्चों की बात ही मानने लगे तो एक वक़्त ऐसा भीआ सकता है जब वे अपने से बड़ों के मित्रों/परिजनों को पहचानने से ही इंकार कर दें.


घर की बेटियों / बहुओं को प्रेरित करें कि वे सिंथिटिक चीज़ों से सजावट न करेंक़ाग़ज़ और रंगोली,पारंपरिक मांडनों से ही घर/दफ़्तर सजाएँ; संस्कृति का मान बढ़ाएँ।


कोशिश करें बिजली का अपव्यय न हो। सीमित संख्या में दीये जलाएँ.हर चीज़ की एक सीमा होती है॥देखा-देखी की होड़ में न पड़ें..अपने बजटऔर अपनी पारिवारिक तहज़ीब का हमेंशा ख़याल रखें.


ध्यान रखें कि दीपावली का असली उजास तो कहीं मन के भीतर मौजूद रहता है।दुनिया बदल रही है....पर्यावरण के प्रति जागरूकता बड रही है.त्योहारी चमक दमकके लालच में प्रकृति के साथ खिलवाड़ ठीक नहीं ; कहीं ऐसा न हो कि हम प्रकृति को इतना नोंच डालें कि आने वाले कल को हम अपने कृत्य पर जब रश्क़ करें तब शायद बहुत देर हो चुकी हो।


...मुझे आपसे ये सारी बातें करने की प्रेरणा तब मिली जब मेरी बिटिया दिशा और बेटे पार्थ ने इस बार यह तय किया कि वे पटाख़ों पर खर्च की जाने वाली पूरी राशि मेरे शहर के अनाथालय को दीपावली के शुभ दिन दान करने स्वयं जाएँगे।मै सच कहूँ ; ये मेरे जीवन की सबसे आनंददायक दीवाली है जिसका श्रेय मेरे बच्चों को जाता है.



हाँ ! चलते चलते एक निवेदन...पिछले एक बरस में यदि किसी भी कारण से आपसे कोई मित्र/परिजन रूठ गया हो या उससे अबोला हो गया हो तो दीपावलीसे अच्छा अवसर नहीं मिलेगा...बिना झिझक के मिठाई खाने पहुँच जाएँऔर देखें आपकी ओर से की गई यह सकारात्मक पहल रंग लाती है या नहीं.रूठे को मना लेने में ही सार है .......किसी की मुस्कराहट से ही सच्चा त्यौहार है।



दीवाली मज़े से मनाएँ...प्रदूषण को भी घटाएँ

मन में उल्लास के दीप जगमगाएँ.....मंगलकामनाएँ









7 comments:

ghughutibasuti said...

हम तो आपसे रूठे बिना ही चाहेंगे कि आपके घर आकर साल मुबारक कह पाते और स्वादिष्ट व्यंजन खा पाते । खैर आप ४०० कि.मी. दूर हैं । सो साल मुबारक और दीपावली की शुभकामनाएँ ।
घुघूती बासूती

Udan Tashtari said...

आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की मंगलकामनायें.

बहुत ही बढ़िया संदेश दिया है.

बिटिया दिशा और बेटे पार्थ एक बहुत उत्तम निर्णय लिया है. इससे अन्य बच्चे भी प्रेरणा प्राप्त करेंगे.

आपको साधुवाद जो आपने बच्चों को ऐसे संस्कार दिये हैं कि वो इस तरह का सुन्दर निर्णय ले पाये.

एक बार पुनः, प्रेरणादायक लेखन के लिये बधाई.

sanjay patel said...

दिशा,पार्थ ताऊजी और बुआजी को प्रणाम लिखवाते हैं.

मीनाक्षी said...

संजय जी , आपको परिवार सहित हमारी तरफ से दीपावली की मुबारक और बच्चों को प्यार भरा आशीर्वाद.. आपका लेखन जीवन के हर पहलू के लिए एक सबक की तरह होता है.

Sanjeet Tripathi said...

सही!!
सलाम दोनो बच्चों को!!

शुभकामनाएं दीपावली की!!

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

दीशा बिटिया व पार्थ इतने समझदार हो गये ...वाह !
सौ. रेणु बहुरानी, वडील बापु जी तथा पूरे परिवार के लिये,
दीवाली की मँगल कामना तथा साल मुबारक स्वीकारेँ ...
समग्र ,शाह परिवार की ओर से :)

Batangad said...

संजयजी
पूरे परिवार को दीपावली की शुभकामना। ऐसे दिवाली मने तो, दिवाली की रोशनी और बढ़ जाए।