नाम है इनका श्याम झँवर 'श्याम। रहते नीमच में हैं जो राजस्थान की ओर मध्य-प्रदेश का सीमावर्ती शहर है. पाँच काव्य संकलन प्रकाशित हो चुए हैं.स्वांत सुख के लिये लिखते हैं और सबसे अच्छी बात ये है कि अपने प्रियजनों /मित्रों को पोस्टकार्ड पर लिख कर भेजते भी हैं। खु़शक़िस्मती है हमारी कि हम भी उनकी फ़ेहरिस्त में हैं.उनका सुलेख लाजवाब है. आज जब लिखने-पढ़नेऔर ख़तोकिताबत का काम एस.एम.एस. और ई-मेल तक सिमट गया है ऐसे में झंवर जी के पत्रों में लिखी नीतिपरक ग़ज़लों को पढ़ना सुखद होता है. हाल ही में उनकी ग़ज़ल अपने ब्लॉग पर जारी करते हुए प्रसन्नता का अनुभव कर रहाहूँ . आप उनके सुलेख का आनंद भी ले सकें इस उद्देश्य से पत्र की मूल प्रति भी देख सकें.दु:ख ये है कि झँवरजी कंप्यूटर युग से दूर हैं अत: यदि उनकी ग़ज़ल पसंद आए तो प्रतिक्रियास्वरूप टिप्पणी लिख दीजियेगा अन्यथा पत्र द्वारा उन्हें अपना प्रतिसाद दीजियेगा.उनका पता:
श्याम झँवर 'श्याम' ,581,विकास नगर,नीमच (मालवा) 458441
दूरभाष :07423-230423
सदा भलाई को अपनाएँ,सदभावों से काम करें
एक लक्ष हो मानवता का,कभी नहीं विश्राम करें
कभी समझना चाहो यदि तुम, जीवन के संघर्षों को
घर की सुविधा छोड़,पाँच दिन, फ़ुटपाथों के नाम करें
काम-वासना,पाप-भ्रष्टता,सबसे दूरी सदा रखें
नहीं छिपाने जैसा हो कुछ, अपना जीवन 'आम'करें
बहुत बड़ा आनन्द छिपा है, सेवा के सदकर्मों में
यही मार्ग अपनाकर अपना,जीवन तीरथधाम करें
मानवता - सदभाव क्षेत्र में इस जग में है काम पड़ा
लगे रहें इन सब कामों में,कभी नहीं आराम करें