Monday, November 10, 2008

गुणीजनों हो सके तो मुझे माफ़ करना.

मुझे क्या आता है ?

भीमसेन जोशी के भारतरत्न होने पर एक आदरांजलि
शब्दों का अतिरेकी जंजाल और सुने सुनाए संस्मरण
वह तो नहीं आता जो पंडितजी के कंठ से झरता है

रज़ा के रचना संसार और उनकी कूँची का प्रवाह
जिसकी समीक्षा कर मैं आत्मप्रवंचना से भर जाता हूँ
वह तो नहीं आता जो रज़ा साहब के ब्रश से बहता है

मेहंदी हसन की ग़ज़लों पर उस्तादी दिखाता मेरा क़लम
जिसकी तारीफ़ का क़िला बना कर मैं इठलाता हूँ
वह तो नही आता जो उस्ताद के गले में हरक़त करता है

बिरजू महाराज के कथक से आलोकित होता मंच
जिसकी वाह वाह से कर देता हूँ मैं किसी पत्रिका के पन्ने काले
वह तो नहीं आता जो महाराजजी की परनों और तोडों में थिरकता है

ज़ोहरा अंबालेवाली और अमीरबाई के गीतों में सिरजता माधुर्य
जिसमें सजी धुन का तबसिरा कर मैं झूम जाता हूँ
वह तो नहीं आता जो उनके तीन मिनट के करिश्मे में सुनाई देता है

एम.एस.सुब्बुलक्ष्मी के पावन स्वर में स्पंदित होता मार्दव
जिसे सुन मैं ध्यान मग्न हो एक कविता गढ़ देता हूँ
वह तो नहीं आता जो उनके कंठ से बहे शब्द को प्रार्थना बना देता है

पंडितजी,उस्तादों,विदूषियों,नृत्याचार्यों और चित्रकारों का किया कराया
सब को बता कर मैं भांड-मिरासियों के गौत्र का वंशज ही तो बन रहा हूँ
इन सब कला-साधकों का ज़र्रा भी बन न सकूँगा मैं अगले दस जन्मों में
तो फ़िर अकड़ता हूँ किस बात पर,किस औक़ात पर
गुणीजनों हो सके तो मुझे माफ़ करना.

14 comments:

पुनीत ओमर said...

आपकी पीडा उचित ही है..

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

गुणीजनोँ को सराहना और उनके गुणोँ की परख भी बहुत है सँजय भाई
" प्रभु मोरे अवगुण चित्त ना धरो "
ये मेरा प्रिय भजन है ! :)
- लावण्या

ghughutibasuti said...

यदि हम सब ये सब महान काम करने लगें तो महानों की प्रतिभा को देखेगा, सुनेगा और सराहेगा कौन ? अतः संसार को हम आप जैसे श्रोताओं, दर्शकों की भी आवश्यकता है ।
घुघूती बासूती

Alpana Verma said...

आप इन सब गुनी जनों के गुणों का जिस खूबसूरती से बखान करते हैं और
जिस तरह इन सभी महानुभावों का परिचय दुनिया को कराते हैं वह क्या कम है??
इस लिए क्या आता है?सवाल सवाल नहीं रह जाता है..

-कविता में अपने दर्द काआपने सफल बखान किया है.

VIMAL VERMA said...

भाई आपकी बात से मैं सहमत हूँ,आपका ये अंदाज़ अद्भुत है,रचते रहिये.....

Abhishek Ojha said...

घुघूतीजी की बात भी सच है... वैसे हम क्या कहें हम तो कहीं से भी गुणी नहीं !

सुनीता शानू said...

यह बस आप ही की पीड़ा नही सभी की है...परन्तु जो भी हमे आता है वह कुछ कम नही। इश्वर के हर कार्य पर पूर्ण भरोसा कीजिये...उसके यहाँ हमेशा न्याय ही होता है, गुण आपमे छुपे है बस लिखते और गुनते रहिये...
आपकी बहन
सुनीता शानू

siddheshwar singh said...

अगर मैं गुणी(जन) होता तो जरूर माफ करता परंतु क्या करूं? हूं नहीं.
आप ही से शब्द उधार लेकर कहूं तो 'कानसेन'हूं और आपकी विनम्रता को शीश पर धरता हूं.

Udan Tashtari said...

बिल्कुल सहमत हूँ.

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाह बंधु वाह... खूब कहा आपने... बधाई...

Anonymous said...

आप पोस्ट करते रहिये, हम सुनते रहें...किसी से कोई लेना देना नहीं है, संगीत जहाँ भी मिले, बस, क्या फ़र्क़ पड़ता है किसी भी उद्द्देश्य से पोस्ट हुआ हो।

विष्णु बैरागी said...

प्रिय भाई संजय,
ईश्‍वर आप पर इसी प्रकार क़पालु बना रहे । आप असाधारण रूप से साधारण हैं ।

एस. बी. सिंह said...

भाई सुनाने वाले कान हों, देखने वाली आँख हो, एक संवेदनशील मन हो यही काफ़ी है।

स्वरांगी साने Swaraangi Sane said...

har baar hota hai aisa hi
likhane aur sunne ke bich choot jata hai bahut kuch
well
mera blog hai
kahana hai kuch aur