Sunday, August 5, 2007

दोस्त ज़िन्दगी का नमक है


दोस्ती के नाम मनाया जा रहा है आज का दिन यानी अगस्त महीने का पहला रविवार ।

मुझे लगता है ..दोस्त के नाम या दोस्ती के नाम एक पूरी ज़िंदगी भी की जाए तो कम है।

दोस्त की कोइ वैश्विक परिभाषा बनाना नामुमकिन है क्योंकि दोस्ती बनने का आधार हर इन्सान की ज़िन्दगी में

अलग होता है। न जाने कैसे हालात (अच्छे / बुरे दोनों ही ) बनाते हैं कि दोस्त नाम का शख्स आपकी ज़िन्दगी में आ जाता है.सनद रहे दोस्त बनाए नहीं जाते...बन जाते हैं।


दोस्त ज़िन्दगी का नमक है ..एक ज़रूरी तत्व है जिसके बिना सुख-दु:ख नाम की सारी हलचलें बेस्वाद हैं ।


दोस्त वैसी ही एक ज़रूरत है जैसे जीवन को चाहिये हवा,पानी,सूरज,चांद,और धूप।


आप दोस्त को याद करें और वो सामने खड़ा हो जाए..वो है सच्चा दोस्त...उसे फोन क्या करना...एस.एम्.एस। क्या करना कि तुम्हारी याद आ रही है या तुम्हारी ज़रूरत आना पड़ीं है ।


दोस्त की तस्वीर फ्रेम में नहीं दिल में जड़ी होती है। उसकी तरफ़ नज़रें ले जाने की ज़रूरत ले जाना नहीं पड़ती; वह खुद नज़रों के सामने बना रहता है।


दोस्त एक पार्ट - टाइम बहलावा नहीं ...ज़िन्दगी में महकने वाली ऎसी खुशबू जो हर लम्हा , हर पल, हर घड़ी आपके पास महकती है।

दोस्त सिर्फ आपसे नहीं आपके पूरे परिवार,आपके परिवेश,आपके कामकाज और आपके सामाजिक सरोकारों का साझीदार होता है..आपके जीवन में ऐसा कुछ नही होता जो आपका दोस्त खारिज करे।


दोस्त यानी जीवन का एक ऐसा साथी जो आपको समस्त गुण-दोषों के साथ स्वीकार करता है।


और सबसे आख़िरी बात....बताता ...जताता नहीं कि वह है...वह होता ही है...वह वस्त्रों पर ढोला हुआ परफ्यूम नही....हल्की हल्की महक वाला इत्र है ...


आपकी ज़िन्दगी में भी दोस्ती का इत्र महकता रहे.....शुभकामना.


5 comments:

VIMAL VERMA said...

वह वस्त्रों पर ढोला हुआ परफ्यूम नही....हल्की हल्की महक वाला इत्र है ...क्या बात है कही आपने,इस फ़्रेन्डशिप डॆ का इतिहास पता तो नही है, दोस्तो के लिये एक दिन? दोस्तों के लिये सब दिन समान है, हमारी शुभकामनाएं

Yunus Khan said...

बहुत सही लिखा है । दोस्‍त जिंदगी का नमक ही हैं । और अच्‍छे दोस्‍तों को संजोकर रखना चाहिये इस दौर में । मैं खुशनसीब हूं कि स्‍कूल कॉलेज के ज़माने के यारों से आज तक संपर्क है । और हम लगातार मिलते या बातचीत करते रहते हैं । अगर संपर्क लगातार ना भी रह पाए तो जब मिलें लगता है कि कभी बिछड़े ही नहीं थे ।

Udan Tashtari said...

बिल्कुल सही. शुभकामनायें.

Manish Kumar said...

विमल जी की बात से सहमत हूँ। दोस्ती का कोई एक दिन नहीं होता। जीवनकाल के अलग अलग हिस्सों में दोस्त बनते हैं बिछड़ते जाते हैं, आपकी जिंदगी में नए लोग आते जाते हैं..पर दिल के किसी ना किसी कोने में उनकी उपस्थिति दर्ज रहती है..मधुर भावनाओं के साथ ।

Sanjeet Tripathi said...

सही!! बहुत सही लिखा है संजय जी आपने!!

एक गुजारिश
आइए पढ़ें दोस्ती पर छत्तीसगढ़ की एक परंपरा
दोस्ती: प्रीत वही पर रीत पराई
http://sanjeettripathi.blogspot.com/2007/08/blog-post.html