Monday, September 24, 2007

इसलिये हारा पाकिस्तान

-शाहिद अफ़रीदी की लापरवाह बल्लेबाज़ी.

-युनिस ख़ान द्वारा मिसटाइम किया गया शॉट जिस पर वे कैच आउट हुए

-रॉबिन उथप्पा द्वारा इमरान नज़ीर को शानदार डायरेक्ट थ्रो द्वारा आउट किया जाना

-इमरान पठान का बहुत सधा हुआ बॉलिंग स्पैल.

-आख़िरी ओवर हरभजन सिंह के स्थान पर जोगिंदर शर्मा द्वार फ़ैंका जाना

-मिसबाह द्वारा बेहद लापरवाही से खेला गया शॉट जिस पर वे श्रीसंथ द्वारा कैच किये गए.

-और सबसे महत्वपूर्ण बात.....

एक ठंडे दिमाग़ के कप्तान के रूप में महेन्द्रसिंह धोनी द्वारा अपने पत्ते न खोलना,अपने गेंदबाज़ों को सही समय पर काम पर लगाना और अपनी देहभाषा से विरोधी टीम को ये ज़ाहिर न होने देना कि हम किसी तरह के तनाव में हैं. भारत को एक लम्बे समय के बाद विचारवान कप्तान मिला है.अच्छी बात ये है कि धोनी की टीम के ज़्यादातर खिलाड़ी भारत के छोटे शहरों से आए हैं और मध्यमवर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं.

आइये तहेदिल से देश की इस शूरवीर टीम का भाव-अभिषेक करे....

5 comments:

Udan Tashtari said...

सही है.

बहुत बहुत बधाई भारत की टीम को इस विजय पर. :)

राज भाटिय़ा said...

मेरी तरफ़ से भारत की टीम,ओर भारत के लोगो को बहुत बहुत बधाई.

mamta said...

टीम बधाई की हकदार है.

आपका विश्लेषण भी बढ़िया है।

Priyankar said...

आपके विश्लेषण से पूरी सहमति है,सिवाय मिस्बाह-उल-हक से सम्बंधित टिप्पणी के . मिस्बाह का शॉट बेहतरीन 'इम्प्रोवाइज़्ड' शॉट था . ऎक्यूरेट किंतु धीमे और ढीले गेंदबाज़ जोगेन्द्र शर्मा की जगह और कोई भी बॉलर होता तो इस शॉट को छक्के के लिए जाना था . सामने वाले पर दबाव ज्यादा हो तो कई बार कमजोरी भी गुण बन जाती है . जीतने पर तो और भी ज्यादा . यह पासे सही पड़ने जैसी बात है .

इसलिए पाकिस्तान की हार का कारण बताने की बजाय मिस्बाह की इस बात के लिए तारीफ़ होनी चाहिए कि वह लगभग असंभव दिखते लक्ष्य को एकदम सम्भव की स्थिति में ले आए, जहां कुछ भी हो सकता था .

इसलिए भारत विजेता है और मिस्बाह की शानदार पारी की बदौलत पाकिस्तान लगभग विजेता . रोमांच से कूट-कूट कर भरा कल का दिन क्रिकेट की विजय का दिन था .

sanjay patel said...

प्रियंकर भाई;
आप से सौ फ़ी सदी सहमत हूँ.जीती दोनो टीमें हैं और जैसा की आपने कहा क्रिकेट जीता है ...सिर्फ़ मुकुट महन्द्रसिंह धोनी के माथे पर सज गया है.मिस्बाह पाकिस्तान टीम से करिश्मा हैं.कुचक्र के कारण लम्बे समय से टीम से बाहर रहे हैं...हैरानी होती है जानकर की ये अफ़लातून खिलाड़ी सन 2002 मे पाकिस्तान से अपने करियर का आग़ाज़ कर चुका है.उनके टेम्परामेंट का एक भी खिलाड़ी किसी अन्य टीम में नज़र नहीं आया. बस उन्हे टीम को जीत तक ले जाने का हुनर साधने की देर है .