Friday, September 5, 2008
नेक सीख से ज़िन्दगी सवाँरने वाला शिक्षक !
हमने अपने बचपन में माड़साब,गुरूजी,सर,टीचरजी जैसे संबोधन सुने हैं.अब बड़ी हो रही पीढ़ी मैम तक आ गई है. शिक्षक दिवस की बेला में मुझे लगता है जीवन में स्कूल के अध्यापक ने हमारे जीवन को कितना सँवारा.किताबों की सीख तो अपनी जगह है लेकिन जीवन को कई नेक मशवरों से सुरभित करने वाले टीचर्स की अहमियत कभी कम नहीं हो सकती. ज़िन्दगी के कई सलीक़े हमें अच्छे शिक्षक से ही मिले हैं. बीते दौर के पालक आश्वस्त थे कि बच्चे का भविष्य फ़लाँ टीचर के सान्निध्य में महफ़ूज़ है.
आपके –मेरे ज़माने की बनिस्बत आज के विद्यार्थी अपने गुरूजनों के साथ ज़्यादा मित्रवत हो गए हैं.दहशत वाले टीचर्स का दौर अब लगभग समाप्त हो गया है. और इसके सकारात्मक परिणाम भी आ रहे हैं.चश्में से झाँकती खड़ूस माड़साब अब लगभग न के बराबर हैं.लेकिन यह भूलना बेमानी होगा कि अनुशासन और डर से ऊपर उठकर कई ऐसे शिक्षक होते थे जो पूरी निष्ठा के साथ अपने विद्यार्थियों के भविष्य को सँवारने का काम करते थे.मुझे लगता है स्कूल में बीता वह अनुशासित समय ही बेहतर ज़िन्दगी के की नींव का निर्माण करता है.
अब वह दृष्य नहीं जब शिक्षक एक मध्यम-वर्गीय पृष्ठभूमि से आता था. सायकल के हैंडल पर लटकी थैली जिसमें स्टील या पीतल का टिफ़िन है और पीछे कैरियर में लगी वह कॉपियाँ जिन्हें वह घर से चैक कर के लाया है. मासिक टेस्ट या छमाही परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाएँ या परिणाम पुस्तिकाएँ(आज की प्रोग्रेस रिपोर्ट) भी के कैरियर पर नज़र आतीं थी और शुरू हो जाती थी यह घबराहट कि आज तो रिज़ल्ट मिलने ही वाला है.सर आ गए हों तो दौड़ कर उनके पास जाकर नमस्कार कहना और उनका सामान स्टाफ़ रूम तक ले जाने में एक क़िस्म गौरव हुआ करता था.
अब तो प्रिंसिपल महंगी प्रीमियम कारों में स्कूल आ रहे हैं और मैम शानदार परफ़्यूम लगाए अपनी मारूति अल्टो या सैंट्रो में चले आ रहीं हैं.स्टाफ़ रूम्स एयरकंडीशण्ड हो गए हैं और स्कूल में ही सर्व हो रहा है शानदार भोजन.टीचर्स डे के शानदार सैलिब्रेशन हो रहे हैं.पैरेंट्स कमेंटिया महंगे उपहार टीचर्स को बाँट रहीं हैं.फ़ाइव स्टार होटलों से इंडियन,काँटिनेंटल,चायनीज़ फ़ूड के मेनू सजकर आ रहे हैं,स्कूल का किचन आज बंद है , रोज़ ही तो खाते हैं न यहाँ का खाना.
लेकिन ये तस्वीर शहरों की है.शिक्षक का पद आज भी गाँवों और छोटे क़स्बों में बहुत आदरणीय है और जिस तरह के अभाव वहाँ पर देखने में आते हैं वे आपके रोंगटे खड़े कर सकते हैं.आज भी सुदूर अंचलों का शिक्षक न जाने कितनी दूर से अपने स्कूल पहुँचता है,ख़ुद स्कूल ताला खोलता है,बच्चों से मदद लेकर की सफ़ाई,पानी का इंतज़ाम और दीगर कई छोटे-बड़े कामों को अंजाम देता है.इसके अलावा चुनाव,साक्षरता अभियान,परिवार नियोजन,जनगणना से संबधित न जाने कितने ही सरकारी कामों को अंजाम देने की ज़िम्मेदारी भी उस पर है. लेकिन ये सब करना उसकी विवशता है जो अंतत: उसकी तक़दीर का हिस्सा बन गई है.पानी टपकाती कवेलू वाली छतें और टाटपट्टी के अभाव में सीले वातावरण में कक्षा लेने की बातें तो जगज़ाहिर हैं , जिसकी शिकायत करना बेचारा शिक्षक इसलिये बेमानी समझता है कि ख़ुद उसकी तनख़्वाह ही दो – तीन महीनों में मिलती है.वह तो प्रणाम सर,नमस्कार टीचरजी/सर सुनकर ही प्रसन्न हो जाता है और मुस्कुराते हुए अपने स्कूल के मासूम और प्यारे बच्चों के चेहरों को देख कर ही इत्मीनान कर लेता है.
आज़ादी के बाद तमाम चीज़ें बदल रहीं हैं लेकिन दु:ख है कि शिक्षक जैसी महान संस्था के लिये आज भी बहुत कुछ किया जाना शेष है. एक ज़माना था कि गुणी शिक्षकों से ही किसी स्कूल के अच्छे-बुरे होने की शिनाख़्त होती थी.शहरों में शिक्षक के स्टेटस में ज़रूर परिवर्तन आया है लेकिन विद्यार्थियों का आदर-भाव घटा है.पालकों के मन में भी आश्वासन नहीं हमारे बच्चों का भविष्य की सुध शिक्षक ले लेगा.यही वजह है कि आज कोचिंग एक बड़े उद्योग के रूप में फल-फूल रहा है.
परमाणु संधि,कश्मीर समस्या,गणेश उत्सवों के ख़र्चीले पाण्डालों,ऊपर जा रहे सैंसेक्स,और घटती-बढ़ती मुद्रा-स्फ़ीति की दरों के बीच आइये आप-हम सब मिल कर उन तमाम शिक्षकों का कम से कम स्मरण तो करें जिनसे मिली सलाहियतें हमारी व्यावसायिक और कामकाजी सफ़लताओं का आधार रहीं है.प्रणाम सर/टीचरजी
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9 comments:
मेरा नमन समस्त गुरुजनों को इस विशेष दिवस पर.
बहुत अच्छा और भाव पूर्ण लिखा है
जारी रखें
वह पिटाई, वो डंडे उन दिनों बुरे लगते थे आज रोमांच सा पैदा करते हैं। ज़माना बदला है तो हमारी सोच भी बदली है। आज हम वह सब अपने बच्चों के लिये नहीं चाहेंगे। मगर यह भी सच है कि कई बहुत ही अच्छे अध्यापक भी उस दौरान मिले।
सही कहा आपने ..कि अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ बदला जाना बाकी है ..शिक्षक दिवस की बधाई ..लेख अच्छा लगा
सलाम.........इन लोगो को......
सच है कि नेक सीख देकर ज़िन्दगी सँवारने वाला ही सच्चा शिक्षक है...शिक्षक दिवस पर बधाई..
संजय भाई, हम सब अपने-अपने शिक्षकों के कृतज्ञ हैं. हमारे बाद की कितनी पीढ़ियां दिल से ऐसा कह सकेंगी, मुझे निश्चित कुछ नहीं पता.
आप ने बहुत मौजूं बात पर चर्चा की है.
sir,
Apni to pathshala Masti ki pathshala....
A anar ka yaad aa gaya
ab to jamana badal gaya hai guruji khud phuch rahe hai " ek kaksha ma kitra vidhyarthi padi saka che"
Taknik sab par haavi ho rahi hai.
arabo rupye kharch kar brahamand ki utpatti ka raj jaana ja raha hai. kya koi ISHWAR ka clone bana sakta hai?
tatyaparak lekhni ke liye sadhuvaaad
Pranam "GURUJI"
sir,
Apni to pathshala Masti ki pathshala....
A anar ka yaad aa gaya
ab to jamana badal gaya hai guruji khud phuch rahe hai " ek kaksha ma kitra vidhyarthi padi saka che"
Taknik sab par haavi ho rahi hai.
arabo rupye kharch kar brahamand ki utpatti ka raj jaana ja raha hai. kya koi ISHWAR ka clone bana sakta hai?
tatyaparak lekhni ke liye sadhuvaaad
Pranam "GURUJI"
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