Sunday, December 27, 2009
क्रिसमस पर मन को सुक़ून देते सदभावना के संदेश !
कल बड़ा दिन था. मेरे शहर के चर्च के बाहर वैसा ही उल्लास और उमंग नज़र आई जैसी दीपावली पर मंदिरों के बाहर और ईद के दिन मस्ज़िदों के बाहर नज़र आती है.
सजे धजे क्रिश्चियन भाई-बहन और उनकी उंगली थामें प्यारे बच्चों के चेहरे पर क्रिसमस की ख़ुशी साफ़ देखी जा सकती थी. इस बीच एक मित्र ने बताया कि मुंबई के चर्च के पादरी सिध्दि विनायक मंदिर जाकर गणपति के सम्मुख दीया प्रज्ज्वलित करेंगे और उसके बाद मंदिर के पुजारी चर्च जाकर तुलसी का पौधा रोपेंगे. मन रोमांचित हो गया ये बात सुनकर. दिल ने भीतर से कहा यही है तो हमारे देश की गंगा-जमनी तहज़ीब. इसी से तो जाना जाता है हमारा वजूद. इन बातों को लेकर मैं ख़ुश हो ही रहा था कि मोबाइल पर एस.एम.एस. आने शुरू हो गये. कुछ जाने पहचाने मित्रों के नाम देखे तो सहज ही जिज्ञासा हो आई कि भला क्रिसमस के दिन ये क्या कहना चाहते हैं. संदेश थे तो अंग्रेज़ी में लेकिन सभी चार-पांच संदेशों में मैरी क्रिसमस लिखा हुआ था. किसी किसी में भगवान यीशु की करूणा ज़िक्र भी था. मैसेज अच्छे तो थे ही लेकिन सबसे अच्छी बात यह थी कि भेजने वाले भी क्रिश्चियन नहीं थी और पानेवाला यानी मैं भी क्रिश्चियन नहीं....
ख़ैर उस वक़्त तो मैं मैसेज पढ़ कर अपने काम में लग गया लेकिन आज थोड़ी तसल्ली से उन्हें फ़िर पढ़ा तो सोचने लगा कि सदभावना की यह अभिव्यक्तियाँ कितनी भावपूर्ण है,कितनी आत्मीय है. अच्छा लगा कि हम दीगर धर्मों और तहज़ीबों का अनुसरण करने वाले भी दूसरे सप्रदाय के त्योहारों को अपना मानने लगे हैं.शायद यही समय की ज़रूरत भी है और धर्म-निरपेक्ष देश की संस्कृति भी. लेकिन साथ ही मानस में यह प्रतिप्रश्न भी उभरा कि ये एस.एम.एस महज़ कुछ भी भेजना है इसलिये तो नहीं भेज दिये गए हैं....ये सोचकर कि रोज़ रोज़ ही तो मित्रता,दिन शुभ हो या मैनेजमेंट के मैसेज भेजते हैं;चलो आज हैप्पी क्रिसमस ही सही. अगर यह कारण रहा हो तो सोचकर लगा कि हम भला ऐसा क्यों करते हैं. क्या ये सदभावना का दिखावा नहीं. यह बात भी मन में आई कि इन संदेशों को भेजने वाले मित्रों ने क्या किसी अपने क्रिश्चियन परिचित,पडौसी और मित्र को बड़े दिन की बधाई दी ? जितनी ख़ुशी संदेशो को प्राप्त कर हुई थी वह मन के प्रतिप्रश्नों से काफ़ूर हो गई....आप क्या सोचते हैं...मन में उथल-पुथल मची है तो सोचा आपसे बतियाकर जी हल्का कर लिया जाए.
बहरहाल ! दिल की गहराई से बड़े दिन की बधाई...
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4 comments:
बड़े दिन की बधाई...
बजा फ़रमाया आपने. वाकई एक धर्म को मानने वाले दूसरे को शुभकामना देते हैं तो बड़ा भला लगता है ...लेकिन यह समस के चोचले चौंकाते भी हैं और नौटंकी भी लगते हैं.प्रश्न यह भी उठता है कि क्या कोई मुसलमान दूसरे मुसलमान को दीपावली की शुभकामना देता है या क्रिश्चियन दूसरे क्रिश्चियन को दशहरे की राम-राम कहता है ?
क्रिसमस की बधाईयां स्वीकार करें!
--नववर्ष मंगलमय हो।
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