Wednesday, August 15, 2007

एक प्यारी नीति कथा....पिल्लू का हमदर्द


एक दुकान पर एक साईन बोर्ड लगा था...'पिल्लै' (कुत्ते के बच्चे ) बेचना है। एक बच्चा बोर्ड पढ़कर दुकान में आया और उत्सुक्तापुर्वक पिल्लों की कीमत पूछी । दुकानदार ने एक पिल्लै की कीमत ३० डॉलर बताई। बच्चे ने अपनी जेब टटोली तो उसमे सिर्फ दो डॉलर निकले। बच्चा बोला क्या दो डॉलर लेकर दुकानदार पिल्लों को देखने और प्यार करने की इजाज़त दे सकता है। दुकानदार बच्चे की मासूमियत देख कर निरुत्तर हो गया।




इतने में कुतिया अपने पांच पिल्लों के साथ वहाँ से निकली ...पांचवा पिल्ला लचककर सबसे आख़िर में धीरे धीरे चल रहा था। बच्चे ने इसका कारण पूछा ...दुकानदार बोला इसके कूल्हे में पैदायशी खराबी है इसी वजह से ये बड़ा होने पर भी लंगडा ही चलेगा .बच्चा चहककर बोला मुझे यही पिल्ला चाहिए ...दुकानदार बोला इस पिल्लै के लिए तुम्हे पैसे चुकाने की ज़रूरत नहीं है इसे मैं मुफ़्त में ही दे दूंगा.
बच्चा मायूस हो गया । दुकानदार की आँखों में आखेँ डालकर बोला...नहीं मैं इसकी पूरी कीमत अदा करूंगा और ध्यान रखना मेरे इस पिल्लू को कभी किसी से कम मत आँकना . अभी पेशगी ये दो डॉलर रख लो मैं बाद में आकर किश्तों मे इसका भुगतान भी कर दूंगा। दुकानदार बोला ...क्या तुम जानते नहीं कि ज़िंदगी भर ये कुत्ता तुम्हारे साथ नहीं खेल पायेगा ..कभी कूद नहीं पायेगा ...




तब बच्चे ने अपनी पतलून को घुटने के ऊपर तक चढाया और दुकानदार अपना बाँया लंगडा पतला और पोलियोग्रस्त पतला पैर दिखलाया ...उसने अपने शरीर को सीधा और संतुलित रखने के लिए कैलीपर्स लगा रखे थे .बहुत विनम्रता से दुकानदार से बोला अंकल मैं भी अच्छी तरह से खेल नही सकता ...कूद नही सकता भाग नहीं सकता ...आख़िर इस नन्हे पिल्लू का दर्द समझने के लिए कोइ तो दोस्त होना चाहिए.




9 comments:

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

संजय भाई,
बहुत अच्छी नीति कथा है ये -
'वैष्णव जन तो तेने कहिये
जे पीड़ा पराई जाने रे "
स स्नेह -
- लावन्या

Gyan Dutt Pandey said...

विकलांगता के प्रति हम सभी ऐसी सोच अपना लें तो दुनियां बहुत बेहतर स्थान बन जाये.

Arun Arora said...

खग जाने खग ही की भाषा,जिसने दर्द झेला है वही उसका मोल भी समझ सकता है..

mamta said...

आखें खोलने वाला सच है। सच जिसने इस दर्द को सहा है वही इसे समझ सकता है।

Sagar Chand Nahar said...

बहुत मर्मस्पर्शी कहानी।

ePandit said...

मार्मिक कथा।

Dr.Bhawna Kunwar said...

संजय जी दिल को छू लेने वाली कहानी है ...

anuradha srivastav said...

दिल को छू लेने वाला वाकया ।

sanjay patel said...

आप सभी का प्रतिसाद इंसानियत के नाम.हम कुछ लोगों को भी ऐसी कहानियाँ छूती रहीं तो समझिये मानवता जी जाएगी.
सा भा र
सं.ज.य.