Monday, March 10, 2008

क्या आपके शहर में है कोई बड़ी टीचर !


मेरे शहर में थीं...आज ही सवेरे उन्होंने पिच्यानवे बरस की उमर में आख़िरी साँस ली.नाम था उनका श्रीमती मैत्रयी पद्मनाभन. सन 1929 में इन्दौर आईं थीं . ब्याह हुआ था उनका शहर के जाने माने महाविद्यालय होल्कर कॉलेज के व्याख्याता श्री एन.पद्मनाभन साहब से. उल्लेखनीय है कि विश्व-विख्यात नृत्यांगना श्रीमती रूक्मिणीदेवी अरूंडेल पद्मनाभन साहब की बहन थीं.रूक्मिणीजी का नाम एक बार राष्ट्रपति पद के लिये भी चला था.


बहरहाल....मैत्रेयी उन चंद ख़ुशनसीब शिक्षाविदों में से थीं जिन्हे मैडम माँटेसरी जैसी महान शख्सियत का सान्निध्य मिला.चैन्ने से इन्दौर आने के पहले मैत्रेयी को एनी बसेंट की छाया में रहने का मौक़ा भी मिला और जब श्रीमती बसेंट थियॉसॉफ़िकल सोसायटी के काम में मसरूफ़ थीं इस तरह से मैत्रेयी के मन पर भी थियॉसॉकल भावधारा के प्रभाव पड़ा. शायद यही वजह थी किसी धर्म विशेष में संलग्न रहने के बजाय जीवनपर्यंत कर्मयोग की अनुगामिनी रहीं.


श्रीमती पद्मनाभन जब इन्दौर आईं थीं तब उनकी आयु थी मात्र 14 बरस.अंग्रेज़ी वातावरण और शिक्षा में परवरिश होने के बावजूद युवा मैत्रेयीने इन्दौर की आबोहवा ही नहीं , भाषा, खानपान और संकृति को तत्काल अपना लिया. 1942 में उन्हें अध्यापन का कार्य ऐसा भाया कि उन्होने इस पवित्र कामको अपनी ज़िन्दगी का मिशन बना लिया. शासकीय स्तर पर स्थापित किये गए संस्थान बाल विनय मंदिर में उन्होने मध्यम-वर्गीय परिवारों के बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम से न्यूनतम फ़ीस पर शिक्षित करने का बीड़ा उठाया और इस स्कूल को मध्य प्रदेश काश्रेष्ठतम शिक्षा संस्थान बना कर ही दम लिया. अब मैत्रेयी पद्मनाभन प्रदेश का जाना माना नाम बन चुका था और वे किसी के लिये बड़ी टीचर तो किसी के लिये अम्मा.1966 में बड़ी टीचर श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में राष्ट्रपति सम्मान से नवाज़ीं गईं . डेली कॉलेज जैसे पब्लिक स्कूल जिसमें राजे - महाराजों के बच्चे ही शिक्षा पाते थे; के सामने बड़ी टीचर ने बाल विनय मंदिर में सहशिक्षा,बस सुविधा और भोजन सुविधा प्रारंभ कर शहर के शिक्षा परिदृष्य में धूम मचा दी.


सुबह सवेरे जीवन की शुरूआत करने वालीं बड़ी टीचर का कमरा किताबों और अपने विद्यार्थियों की नोट-बुक्स का कबाड़खाना था. आज के स्कूलों के प्रिंसीपल जब ए.सी कमरों में बैठ कर शिक्षा को एक इंडस्ट्री बनाने पर आमादा हैं (बना ही चुके हैं हुज़ूर)तब अपने जीवन के अंतिम दिनों तक बड़ी टीचर एक या दो सूती साड़ी पहन कर आनंदित रहतीं.अंतिम समय तक ख़ुद अपने हाथ से खाना पकातीं.


बड़ी टीचर को संगीत से बहुत लगाव था. जानना सुखद होगा कि पद्मनाभन दम्पत्ति ने ध्रुपद गायकी के अनन्य साधक और डागर बंधुओं से बाक़ायदा गंडा बधवा कर तालीम हासिल की. इन्दौर के एकाधिक सांगीतिक आयोजनों में यह संगीतप्रेमी जोड़ी हमेशा नज़र आती रहीं .


यूँ बड़ी टीचर चार बेटों की माँ रहीं लेकिन विभिन्न प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों के हज़ारों विद्यार्थियों को दीक्षित करने वाली बड़ी टीचर हज़ारों बच्चों की वात्सल्यमयी माँ हीं थीं.उनके तीन बेटे भारतीय सेना के जाँबाज़ सैनिक रहे . ज्यॆष्ठ पुत्र विंग कमांडर पी.गौतम उन (शायद एकमात्र) सैनिकों में से एक रहे हैं जिन्हें दो बार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. ये दुर्योग ही था कि सन 1971 के पाकिस्तान युध्द के बाद पालम हवाई अड्डे से एक ट्रायल फ़्लाइट के दौरान विंग कमाण्डर गौतम का विमान क्षतिग्रस्त हुआ जिसमें उनकी दु:खद मृत्यु हुई.


बड़ी टीचर में मौजूद एक वीर प्रसूता के जज़्बे की बानगी देखिये.....गौतम की मृत्यु के बाद एक अख़बारनवीस ने एक सैनिक की माँ की प्रतिक्रिया जाननी चाही तो बड़ी टीचर का जवाब था........काश गौतम हाल ही में समाप्त हुए भारत-पाक युध्द में मौत को गले लगाततो मैं कम से कम एक शहीद की माँ तो कहलाती.


बड़ी टीचर के तीसरे पुत्र श्री कृष्णा बनारस हिन्दू विश्व-विद्यालय में प्राध्यापक रहे हैंऔर विश्व-विख्यात दार्शनिक और आध्यात्मिक विभूति जे.कृष्णमूर्ति के अनुयायी हैं और जे . कृष्णमूर्ति के बह्मलीन होने के बाद उनकी विचारधारा और कार्यों का संपादन करते हैं.


अपने विध्यार्थियों को बब्बू बुलाने वाली 95 वर्षीय मैडम आज अपनी देह से मुक्त होकर परलोक सिधार गईं हैं.अपनी माँ के दिवंगत होने पर तो सभी की आँखों में आँसू आते हैं लेकिन जीवन की दीक्षा देने वाली अपनी अम्मा यानी बड़ी टीचर के लिये इन्दौर के हज़ारों विद्यार्थियों की आँखें इस दु:ख भरी ख़बर से डबडबा रहीं हैं आखिर बड़ी टीचर साक्षात सरस्वती माँ हीं तो थीं.


(चित्र में ख़ाकसार श्रीमती मैत्रेयी पद्मनाभन को आदर के फूल भेंट करते हुए....ये तस्वीर सन 2007 के विश्व बधिर दिवस की है )

12 comments:

Anita kumar said...

श्रीमती मेत्रेयी जी को मेरी तरफ़ से भी भावभीनी श्रद्धांजली।

Sanjeet Tripathi said...

श्रद्धांजलि उन्हें!

अजित वडनेरकर said...

मैत्रेयी जी के बारे में काफी सुन चुका हूं । ईश्वर उनकी आत्मा को अनंत शांति प्रदान करें.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

श्रीमती मैत्रयी पद्मनाभन जैसी एक महान स्त्री जिस्ने अन्गिन्ती बच्चोँ का भविष्य सुधार कर एक सुघड जीवन की नीँव रखी उन्हेँ मेरे शत शत प्रणाम -- -- लावण्या

Priyankar said...

श्रद्धांजलि मेरी ओर से भी .

सागर नाहर said...

आदरणीय बड़ी टीचरजी को श्रद्धांजलि।

विभास said...

badi teacher ki zindagi per raushni daalti kalam ki baangi aaj padhi... sach me we indore ki 'azeem sarmaya' thin....

विभास said...

badi teacher ki zindagi per raushni daalti kalam ki baangi aaj padhi... sach me we indore ki 'azeem sarmaya' thin....

विभास said...

badi teacher ki zindagi per raushni daalti kalam ki baangi aaj padhi... sach me we indore ki 'azeem sarmaya' thin....

अफ़लातून said...

’अम्माजी’ के बारे में आपका लिखा आत्मीय आलेख पढ़कर ,उस पीढ़ी का पुण्य स्मरण हो आया।उनकी स्मृति को प्रणाम ।

manjushaganguly said...

मेरी विनम्र श्रद्धांजलि इस महान व्यक्तित्व अम्मा काे 🙏🙏🙏🙏🙏 इस गुरू काे !!!

Unknown said...

Nobody can replace our respected Badi Mam, today what I am is becoz of her teachings, I learnt from her in school. Miss you a lot.