Saturday, May 31, 2008

पत्रकार शाहिद मिर्ज़ा की पहली बरसी पर एक प्यार भरी याद !

अभी दो तीन दिन पहले दिवंगत पत्रकार शाहिद मिर्ज़ा की पहली बरसी थी. तब ये
आदरांजलि लिख देता तो बेहतर होता, पर हम भी ठहरे शाहिद भाई की ही बेपरवाह तबियत
के मुरीद.फ़िर भी सोचा इस प्यारे इंसान की याद आई है तो कुछ लिखा ही जाए.

पिछले बरस जब वे अल्ला को प्यारे हुए तब भी राजस्थान वैसा ही अशांत था
जैसा आजकल ; सो मैयत को जयपुर से कोटा होते हुए इन्दौर लाया गया जहाँ उन्हें
सुपुर्दे ख़ाक किया गया. बेफ़िक्र तबियत के शाहिद भाई यारबाज़ इंसान थे. पत्रकारिता की,
नाटक किये,हुसैन साहब की जीवनी पर काम शुरू क्या,अख़बारों में यहाँ रहे-वहाँ रहे पर
जमें राजस्थान पत्रिका में जाकर.भागती ज़िन्दगी को जैसे कुछ ठहराव मिला ही था और
शाहिद भाई चले गए. सब कुछ ठहर गया.

जब बड़ी शिद्दत से आज उनकी याद आ ही गई तो लिख गया ये पंक्तियाँ...

शाहिद भाई के तमाम मित्रों की ओर से यायावर तबियत
के इस बेजोड़ इंसान को ख़िराजे अक़ीदत के रूप में ..सादर.


सब कहते हैं
अव्यवस्थित था वह
बेपरवाह था
बेफ़िक्र था
बेचैन था

क्या कभी किसी ने सोचा
ऐसा क्यों था
उसकी घड़ावन ऐसी क्यों थी
क्यों अनुशासन नहीं साधा उसने
क्यों न जी समयबध्द ज़िन्दगी

पूछने वाले तो बड़े व्यवस्थित ठहरे
वे कर देते कोई करामात
लिख देते उस जैसा बिंदास
दिखा देते शब्दों की कारीगरी

नहीं ! कोई नहीं कर पाएगा वैसा
वैसा बनना बहुत मुश्किल है
मान भी लूँ कि अभिनय करता था
वह बेफ़िक्र होने का
तो बुरा भी क्या है

फ़िक्र करने वाले कौन सा कमाल कर रहे हैं
वह शब्द की कंदील से सचाई के मोती ढूंढता था
सोचता था कि कभी तो अच्छे सुख़नवर मिलेंगे
इंसानियत की चूनर में नेकी के बेल-बूटे जड़ेंगे

लोग कहते हैं बीमार था,बेपरवाह था,थक गया था
हाँ उसकी बीमारी थी फ़रेब और झूठ से नफ़रत की
वह बेपरवाह था उनके लिये जो छदम का कारोबार करते हैं
वह थक गया था लिख लिख कर कि सोच बदले
बदले ज़माने की तस्वीर, लेकिन नहीं बदली

तो सूरते हाल यहाँ यह है
शाहिद भाई कि
हम सब सोचते हैं कि
अच्छा हुआ आप चले गए
ये दुनिया आपके रहने लायक़ बची नहीं अब
आपने जयपुर से विदा ली
वही गुलाबी जयपुर
गुलाबी से केसरिया और
केसरिया से लाल हुआ जा रहा है

आप वहीं राजी खुशी रहें
अपरंच यहाँ सब ठीक है
राम राम शाहिद भाई.

3 comments:

scam24in hindi said...

sir
i am read sheed mirza but you see the mirza sahab
but sir it is the my promise to you that
i knew more clearly and nearly to shaheed mirza than you
sir life is small but not so small that we will not meet
in the search of shaheed ji we meet very soon
A reader of
shaheed mirza sahab and
a PARDESH IN YOUR STATE
may in ur heart too?
www.scam24inhindi.blogspot.com

Arun Aditya said...

संजय भाई, शहीद जी जैसे जिंदादिल इन्सान आज कहाँ हैं। सच कहा ये दुनिया उनके जैसे लोगों के रहने लायक नहीं है। शहीद जी को सलाम।

राजीव जैन said...

शहीद जी को सलाम