वह बहुत फक्कड़ इन्सान है; बेहद सादा तबियत, बहुत अव्यवस्थित लेकिन जुनून का उसी तरह पक्का जैसा कोई जेहादी होता है। उसका "जेहाद' है संगीत की उन दुर्लभ रचनाओं को संकलित करने का जो किसी भी क़ीमत पर और कैसे भी उनके संग्रह में होना चाहिये। मैने जेहाद शब्द इसलिये भी इस्तेमाल किया कि इस शख़्स का जुनून चोखे सुर की सचाई को महफ़ूज़ करना है बेसुरेपन को नहीं।न जाने कहाँ कहाँ से और किस क़ीमत पर उस शख़्स ने चूड़ी वाले बाजे के दौर (७८ आरपीएम) के रेकॉर्ड्स संकलित किये है या तो वही जानता है या उसका ख़ुदा. सबसे बड़ी बात जो इस इंसान को विशिष्ट बनाती है वह है सुरों की सुरभि को बॉंटने का शगल। सुमन चौरसिया नाम है इस ज़ालिम का (हम प्यार से उसे ज़ालिम न कहें तो क्या करें भाई हमारा हिंदुस्तानी संगीत के सबसे बड़े ख़ज़ाने का मालिक जो ठहरा) इन्दौर से कोई पन्द्रह बीस कि.मी. दूर राऊ पहाड़ी की तलहटी में बसे इलाके पिगडम्बर में आप हुज़ूर बसते हैं और क्या फक्कड़ ठाठ से बसते हैं। रईस से रईस इन्सान भी उनके संकलन की फेहरिस्त सुनकर रश्क़ करने लगे। क्या नौश फ़रमाऍंगे आप जौहरजान, मिस मुन्नी, अख़्तरी बाई, इक़बाल बानो की ग़ज़लें या पं. गोविंदराम की धुनें? ललिता पॅंवार को गाते सुनना चाहेंगे आप? या राजकपूर का गाना सुनना पसंद करेंगे। मेहॅंदी हसन की ग़ज़लें तो गली गली बिकती हैं, उनके फ़िल्मी गीत सुनने की चाहत है आपकी? तलत महमूद की बॉंग्ला या गुजराती ग़ज़लें सुनेंगे आप? या रफ़ी साहब का सिंधी सूफ़ी तराना? महाकाल की आरती (माफ़ कीजिये जय शिव ओंकारा नहीं) से रोमांचित होना चाहते हैं (ये आरती महाकालेश्वर मंदिर के रेकॉर्ड में भी शायद न मिले) या होलकर राजवंश की चूड़ी वाले बाजे पर बजने वाली बैण्ड की धुन पर ख़ुश हो जाना चाहेंगे? (इन्दौर की महारानी उषाराजे होलकर के बेशक़ीमती ख़ज़ाने में कई हीरे-पन्ने हो; शायद ये रेकॉर्ड न मिले)
ख़ैर फ़ेहरिस्त बहुत लम्बी है लेकिन आपको बाख़बर करने के लिये ये ज़रूरी है कि सुमन चौरसिया दरअसल संगीत-संकलनकर्ताओं की राष्ट्रीय सूची में एक चमचमाता नाम हैं। सुमन चौरसिया के आलोचकों (जो उनसे गीत जुगाड़ने के लिये मुँह पर ये बात नहीं बोलते) के लिये यह बात बड़े काम की हो सकती है कि सुमन शास्त्रीय संगीत राग-रागिनियॉं और कविता शायरी ठीक से नहीं जानता। मैं उनसे कहता हूँ कि ये बंदा तो ठीक से अपना नाम भी नहीं लिख सकता। मुझे आलोचकों से एक ही सवाल करना है मेहॅंदी हसन से कभी किसी ने पूछा ख़ॉं साहब आप कहॉं तक पढ़े हैं; लताजी से कभी किसी ने जानना चाहा कि दीदी आपने ग्रेज्युएशन किस यूनिवर्सिटी से की है। बेग़म अख़्तर कौन से मदरसे में पढ़ने गईं थीं लेकिन याद रखियेगा इन सारे महान कलाकारों को उनके फ़न के लिये ज़माना सलाम करता है। चौकिएगा मत किसी दिन इन्दौर विश्व-विद्यालय के कुलपति कहें कि सुमन भाई आपको आपके संगीत अवदान के लिये हम डॉक्टरेट देना चाहते हैं। वाह क्या बात है; डॉ. सुमन चौरसिया। यहाँ ये उल्लेख भी प्रासंगिक होगा कि सुमन भाई के कारनामें के लिये उनके खाते में कोई सम्मान या पुरस्कार भी नहीं है;और वह उसकी परवाह भी नहीं करता.हाँ मीडिया में ज़रूर ऐसे कुछ दर्दी लोग हैं जिन्होंने सुमन भाई की मेहनत को रेखांकित किया है. वर्षों पहले जनसत्ता के साप्ताहिक परिशिष्ट सबरंग ने सुमन भाई पर कवर स्टोरी की थी.नईदुनिया में सुरेश गावड़े,अजातशत्रु और ख़ाकसार जब तब सुमन भाई पर क़लम चलाते ही रहे हैं.
हुज़ूर मेरे अपने शहर इन्दौर की गलियों की ख़ाक छानने वाले इस शख़्स के हुलिये, उसकी क़ाबिलियत उसकी पढ़ाई लिखाई पर मत जाइये उसका कमिटमेंट । मुबारक बेग़म, पं. हृदयनाथ मंगेशकर से लेकर सुर-सरस्वती लता मंगेशकर तक सुमन चौरसिया के पागलपन का आदर करतीं हैं । इसे पागलपन न कहूँ तो और क्या कि जिसके घर के रसोईघर में आटे के कनस्तर नहीं चूड़ी वाले बाजे की रेकार्डें रखीं रहतीं हों। सुमन भाई ने सुना कि कि फलॉं जगह फ़लाँ आर्टिस्ट की रेकार्ड मिल रही है और सुमन भाई के पास पैसे नहीं हैं; सोचिये ये दीवाना क्या करेगा ? ये अपनी पत्नी के हाथ से दो सोने की चूड़ियॉं उतरवाएगा है; अपने शहर के जौहरी बाज़ार (जिसे सराफ़ा के नाम से जाना जाता है) आएगा, चूडियाँ बेचेगा ; आगरा-मुम्बई राजमार्ग पर आएगा ; भूखा-प्यासा दो दिन ट्रक में बैठकर सांगली, पुणे, कोलकाता, सूरत या किसी और शहर से रेकॉर्ड ख़रीदकर घर ले लाएगा; सुनेगा और सुनाएगा।
रेकॉर्ड लेकर आने के बाद सुमन क्या करेंगे? अपने कुछ दीवाने दोस्तों को एस.टी.डी. का ख़र्चा उठाकर रात ११ बजे, १२ बजे कॉल करेंगे; मियाँ सुनिये ज़रा ज़ोहरा अम्बालेवाली को;(आप भी कोई अनमोल रचना सुनना चाहें तो आज़मा लें इस यारबाज़ आत्मा को : 09301398437)आज जवॉं हो रहे कार्पोरेट कल्चर और सोफ़ेस्टिकेटेड लोगों के बीच सुमन चौरसिया "मिस फ़िट' और सच्चे संगीतप्रेमियों के बीच ऑल-टाइम' हिट हैं। व़क़्त बेरहम है; और ज़माना ठेठ एहसानफ़रामोश । सुमन चौरसिया भी गुदड़ी के लाल हैं। घर फूँकने वाले सुमन भाई दीनानाथ लता मंगेशकर लायब्रेरी बनाने के लिये संकल्पित हैं ; दो-पॉंच लाख लगा चुके हैं, उधारी भी ले रखी है और अपनी धुन के पक्के हैं ; जो सोचा है वह कर के रहेंगे ।
सुमन चौरसिया को इस बात से कोई मतलब नहीं कि उसका कारनामा इतिहास में दर्ज़ होगा या नहीं,या मीडिया उसके संकलन को प्रसार देगा या नहीं; ये औलिया तो इन बातों से बेख़बर रेकॉर्डों के कलेक्शन लगा हुआ है । कृष्ण बिहारी नूर का शे’र सुन लीजिये, आपको समझ में आ जाएगा सुमन चौरसिया किस मिट्टी के बने हैं
मैं एक क़तरा हूँ मेरा अलग वजूद तो है
हुआ करे जो समंदर मेरी तलाश में है
7 comments:
वाह पहली बार सुमन जी की तस्वीरें देखीं ।
अजातशत्रु के कॉलम में सुमन जी का असंख्य बार जिक्र आया है ।
सुमन की के सुरीले जुनून को हमारा सलाम ।
एक दुर्लभ शख़्सियत से रू-ब-रू कराने का शुक्रिया. ऐसे लोग बाद के युगों में सिर्फ़ क़िस्से-कहानियों में पाए जाएंगे.
ऐसे जुनूनी लोग ही इतिहास रचते हैं, स्वार्थी और मतलबी लोगों ने तो इतिहास बिगाड़े ही हैं…
मेरे ख्याल से सुमन जी के बारे में पहले सुन रखा है। पर विस्तार से आपने बताया।
और राऊ का नाम सुन कर तो नोस्टाल्जिया हो गया। मैने कितने चक्कर मारे हैं - इन्दौर महू के रेल और रोड से, वाया राऊ! पता नहीं, फिर कभी जाना हो पायेगा या नहीं।
धन्यवाद सँजय भाई ..
आपका जाल -घर ,
सच्चे व दुर्लभ सँगीत प्रेमी
तथा सँगीत के अज़ीम फनकारोँ की
" दर्शनावली " = ( hall of fame) बनता जा रहा है !
उपर से, आपकी पैनी नज़र से , सँगीत पर लिखी गयीँ बातेँ,
ट्रीवीया,( trivia) नोस्टेल्जीया,( nostalgia )etc. etc
कुल मिलाकर, हिन्दी ब्लोग इतिहास मेँ आप, बडे मार्के के पन्ने दाखिल करने का महत्त्वपूर्ण काम कर रहे हैँ - अत: आपको, सच्चे मन से, "साधुवाद " कहती हूँ !
और ..बडी बहन होने के नाते,
स्नेह भरे आशिष भी देती हूँ स्वीकारेँ :) ..
और हाँ एक और आग्रह है,
कृपया " अजातशत्रु जी " के बारे मेँ भी लिखियेगा..
" भाभी की चूडियाँ " फिल्म के गीत ( पूज्य पापा जी के लिखे हुए)
" तुमसे ही घर घर कहलाया " पे उनका लिखा पढने के बाद्,
उनकी कलम के प्रति भी
श्रध्धान्वत्` हूँ .
.शेष आगे कहानी,
जारी रहेगी :)...
-- लावण्या
आभार मिलवाने का. ऐसे ही मिलवाते रहिये.
"ध्वनि मुद्रिका"
सच कहूँ तो इस शब्द का अर्थ ही नहीं जानता था सो आपकी पोस्ट पर आया और जब पोस्ट पढी तो एक अजीब सी खुशी महसूस होने लगी. अनमोल खजाने का पता दिया आपने इस पोस्ट मे.
सच ही संगीत के सच्चे सिपाही सुमन को सलाम.
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