हम रेडियो में नहीं रहे हैं लेकिन रेडियो बचपन से हममें रहा है. पिताजी
श्री नरहरि पटेल को कर-सलाहकार से ज़्यादा रंगकर्मी,कवि और प्रसारणकर्ता के रूप में जानने में ज़्यादा दिलचस्पी रही है हमारी. वे आकाशवाणी इन्दौर से आने वाले नाटकों,बच्चों के कार्यक्रम,रूपकों के प्रसारण या किसी ओ.बी.रेकॉर्डिंग के आमंत्रण के लिए अतिरिक्त उत्साहित नज़र आते थे. देर रात जब वे किसी नाटक की रिहर्सल से लौटते तो ये जानने में ख़ास रूचि रहती थी कि आज के नाटक का निर्देशक कौन है, लेखक कौन और आपके साथ भाग लेने वाले कलाकारों के नाम क्या हैं. यही वजह है कि भारतरत्न भार्गव, सत्येन शरत, चिरंजीत, दीनानाथ, देवराज दिनेश, मुद्राराक्षस, नंदलाल शर्मा, विनोद रस्तोगी, देवकीनंदन पांडेय, केवल कृष्ण नैयर, केशव पाण्डे, नंदलाल चावला, जयदयाल बवेजा, विश्व दीपक त्रिपाठी, ब्रज शर्मा, शुभ्रा शर्मा, इंदु वाही, जसदेवसिंह, लेकर स्वतंत्रकुमार ओझा, प्रभु जोशी, संतोष जोशी, कृष्णकांत दुबे,वीरेन्द्र मुंशी, बी.एन.बोस,अविनाश सरमण्डल, रणजीत सतीश,निम्मी माथुर (मिश्रा) भाईलाल बारोट से लेकर कमल शर्मा, रेणु बंसल, युनूस ख़ान, राकेश जोशी, संदीप श्रोत्रिय, इन्दु आनंद, महेन्द्र मोदी, ममता सिंह जैसे नामों एक करिश्माई अपनापा रहा है. इन नामों में से कईयों से प्रत्यक्ष मिलना नहीं हुआ लेकिन उनके काम के प्रति हमेशा आदर बना रहा.
आकाशवाणी से परे लेकिन लेकिन रेडियो की यात्रा को परवाज़ पर पहुँचाने वाले अमीन सायानी साहब,प.विनोद शर्मा, मनोहर महाजन,सरिता सेठी, हरीश भिमाणी,श्री सुशील दोशी, तबस्सुमजी, विष्णु शर्मा के प्रति अगाध आदर रहा. आकाशवाणी के स्वर्णिम युग के बाद एफ़एम रेडियो को लोकप्रिय बनाने वालों में विप्लव गुप्ते और समीर चिंचवड़कर, आरजे चारू और आरजे नवनीत के नाम भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहे हैं.
बाल-सभा, सुगम संगीत, शास्त्रीय संगीत, युववाणी, शाम-ए.ग़ज़ल, लोक संगीत,नाटक और झलकियों के न जाने कितने प्रसारण सालों बाद भी मानस में जस के तस गूँजते रहते हैं. अभी, बस अभी दो दिन पहले ही गीतों भरी कहानी शीर्षक के एक आयोजन में हमें रेखा रावल की तीन कहानियों को पढ़ने का मौक़ा मिला. कार्यक्रम ख़त्म होते ही व्यक्तिगत रूप से और दूसरे दिन मोबाइल पर मिले बधाई संदेशों पर प्रतिक्रियास्वरूप हमारा यही कहना था कि हम महज़ एक बाजा हैं, हममें रेडियो के कई स्मारक स्वरों का वैभव बोलता है. जिनके अवचेतन में रेडियो ज़िन्दा है वे ही हमारी इस बात के मर्म समझ सकते हैं.
आज उपहार के तौर पर जारी कर रहा हूँ मेरे संकलन से एक दुर्लभ तस्वीर:
इन्दौर में इन्दौर टेबल टेनिस ट्रस्तलता दीदी के एकमात्र लाइव शो ‘लता-रजनी’ (1983) के दौरान सुप्रसिध्द प्रसारणकर्ता,गायक,स्वर-अभिनेता,संगीतकार पं.स्वतत्रकुमार ओझा और लता दीदी के 1 घंटे के इंटरव्यू का चित्र.आकाशवाणी इन्दौर के लिए ये साक्षात्कार ओझाजी ने आर.एन.टी.मार्ग स्थित होटल श्रीमाया में लिया था. लता जी वहीं ठहरी थीं और रिहर्सल भी इस होटल के रेस्टॉरेंट में की थी.
रेडियो के सभी मुरीदों को विश्व-रेडियो दिवस मुबारक !