Monday, May 5, 2008

आज संगीतकार नौशाद नहीं ; शायर नौशाद से मुलाक़ात कीजिये !

जी हाँ ! आज मौक़ा भी है दस्तूर भी. महान संगीतकार
नौशाद साहब की बरसी है आज (५ मई) हम सब नौशाद मुरीद
उनकी संगीत यात्रा पर तो नज़र रखते ही हैं ; या यूँ कहूँ
अपने कानों को मालामाल रखते हैं लेकिन आज नौशाद साहब
के दिल में मौजूद रहने वाले एक लाजवाब क़लमकार से भी
रूबरू होते हैं.मुलाहिज़ा फ़रमाइये उनकी लिखी ग़ज़लों के अशाअर:


दुनिया कहीं बनती मिटती ज़रूर है
परदे के पीछे कोई न कोई ज़रूर है

जाते हैं लोग जा के फ़िर आते नहीं कभी
दीवार के उधर कोई बस्ती ज़रूर है

मुमकिन नहीं कि दर्द - ए - मुहब्बत अयाँ न हो
खिलती है जब कली तो महकती ज़रूर है

ये जानते हुए कि पिघलना है रात भर
ये शमा का जिगर है कि जलती ज़रूर है

नागिन ही जानिए इसे दुनिया है जिसका नाम
लाख आस्तीं मे पालिये डसती ज़रूर है

जाँ देके भी ख़रीदो तो दुनिया न आए हाथ
ये मुश्त - ए - ख़ाक कहने को सस्ती ज़रूर है

नौशाद झुक के मिल गई कि बड़ाई इसी में है
जो शाख़-ए-गुल हरी हो लचकती ज़रूर है


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ये कौन मेरे घर आया था
जो दर्द का तोहफ़ा लाया था

कुछ फ़ूल भी थे उन हाथों में
कुछ पत्थर भी ले आया था

अंधियारा रोशन रोशन है
ये किसने दीप जलाया था

अब तक है जो मेरे होंठों पर
ये गीत उसी ने गाया था

फ़ैला दिया दामन फ़ूलों ने
वो ऐसी ख़ुश्बू लाया था

नौशाद के सर पे धूप में भी
उसके दामन का साया था.

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और ये रहे चंद शे’र.....


अच्छी नहीं नज़ाकते एहसास इस क़दर
शीशा अगर बनोगे तो पत्थर भी आएगा


बस एक ख़ामोशी है हर इक बात का जवाब
कितने ही ज़िन्दगी से सवालात कीजिये

नौशाद उनकी बज़्म में हम भी गए थे आज
कैसे बचें हैं जानो-जिगर तुमसे क्या कहें

ये गीत नए सुनकर तुम नाच उठे तो क्या
जिस गीत पे दिल झूमा वो गीत पुराना था.



उम्मीद है नौशाद साहब को ख़िराजे अक़ीदत पेश करती
ये पोस्ट शायर नौशाद के क़ारनामे को आपके दिलों तक
पहुँचाएगी. हाँ ये बताता चलूँ कि उपर जारी की गईं दो ग़ज़लें
नौशाद साहब के म्युज़िक एलबम आठवाँ सुर में दस्तेयाब हैं

15 comments:

annapurna said...

पहली बार देखा नौशाद की कलम का कमाल !

शुक्रिया संजय जी !

Ashok Pande said...

बढ़िया प्रस्तुति संजय भाई!

संगीत सुनने को कब मिल रहा है आप के यहां?

शुभकामनाएं.

VIMAL VERMA said...

आपने नई जानकारी दी है....भी तक हम उनके संगीत के मुरीद थे...आपकी वजह से उनका दूसरा पहलू हमारे सामने आया है...बहुत बहुत शुक्रिया

Yunus Khan said...

अच्‍छी ग़ज़लें हैं । नौशाद साहब की कुछ ग़ज़लें महेंद्र कपूर ने भी गायी हैं । मौक़ा लगा तो सुनवाएंगे

sanjay patel said...

अन्नपूर्णा जी और विमल भाई आपकी दाद तो मरहूम नौशाद साहब की रूह तक पहुँच ही चुकी होगी क्योंकि हम तो बस एक कड़ी होते हैं इन चीज़ों को सहेजने की. तो असली हुनर तो इन महान शख्सीयतों का ही होता है . अशोक भाई नितांत पारिवारिक और व्यावसासिय कामों में उलझा हूँ जिनमें से एक महत्वपूर्ण काम बेटी का करियर भी है. उससे फ़ारिग़ ही आप सब के साथ बाँट कर ही दम लूँगा.साधुवाद आप सभी का.

sanjay patel said...

युनूस भाई...शुक्रिया. कुछ प्रायवेट चीज़ें नौशाद साहब की लिखी हुई रफ़ी साहब के गले से भी आईं हैं.. ...ज़रा तलाशियेगा न.

शोभा said...

संजय जी
महान शायर नौशाद से सही रूप में मिलवाने के लिए शुक्रिया । अगर ये गीत सुनने को मिल जाते तो और आनन्द आजाता।

पारुल "पुखराज" said...

waah! kya khuub cheezen padhvaayin aapney..shukriya SANJAY ji

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

ये जानते हुए कि पिघलना है रात भर
ये शमा का जिगर है कि जलती ज़रूर है

नागिन ही जानिए इसे दुनिया है जिसका नाम
लाख आस्तीं मे पालिये डसती ज़रूर है
बहुत खूब -- नौशाद सा'ब ने लता दीदी और आशा ताई पर भी बेहतरीन शेर लिखे हैँ वो मेरे पास सहेजे हुए हैँ
शायद आपने सुने होँ सँजय भाई , अल्ला मियाँ नैशाद सा'ब से सँगीत मेँ पिरोयी शायरी सुन रहे होँगेँ ..
आपका शुक्रिया ..
- लावण्या

sanjay patel said...

लावण्या बेन , पारूल जी और शोभाजी शुक्रिया आप सब का.
नौशाद साहब के बारे में एक बात और याद आ गई...इन्दौर के आसपास के जंगलों में नौशाद साहब,यूसुफ़ साहब (दिलीपकुमार)अजीत साहब, जयराज शिकार खेलने आया करते थे.किसी मित्र के पास एक तस्वीर कभी देखी जिसमें एक शिकार किये गए टाइगर पर बंदूक रख कर नौशाद साहब खड़े हैं.शायरी का रंग आपने देख ही लिया क्या कमाल की रूह पाई थी इस सर्वकालिक महान संगीतकार ने. विडंबना देखिये मुंबई में नौशाद साहब ने जिन पं.किशन महाराज को पनाह और मौक़ा दिया था उनका अंतिम संस्कार आज नौशाद साहब की बरसी के ही दिन ही किया गया. लगता है अल्लाताला को भी सुरीले लोगों की ज़रूरत पड़ती ही रहती है.

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा प्रस्तुति रही नौशाद साहब की रचनाओं की, बहुत आभार.

अमिताभ मीत said...

बहुत उम्दा पोस्ट. शुक्रिया.

sanjay patel said...

आपको भी साधुवाद समीर भाई और मीत जी.

Jaahir Ansari said...

आँखों में अश्क़ है जरूर मगर अश्क़ बहाए कौन
दिल की लगी है खूब है दिल की लगी भुजाए कौन
हैरत ग़म का जोश है मेरी जुबान खामोश है
मेरा पता तो तू बता तेरा पता बताये

Jaahir Ansari said...

आँखों में अश्क़ है जरूर मगर अश्क़ बहाए कौन
दिल की लगी है खूब है दिल की लगी भुजाए कौन
हैरत ग़म का जोश है मेरी जुबान खामोश है
मेरा पता तो तू बता तेरा पता बताये