सच बहुत ख़तरे में है इन दिनों !
उसका बरबाद होना
अख़बार के लिये बैनर हेडलाइन हो सकती है
टीवी चैनल्स के लिये
ब्रेकिंग न्यूज़
सत्य पाने के लिये मित्र तो मित्र
माँ के जाये भाई को भी मशक़्कत करनी पड़ रही है
दरअसल झूठ इतना प्यारा,दुलारा
और सुरक्षित हो चला है कि
सच का सामीप्य कष्ट दे रहा है
मौसम प्रेरित कर रहा है कि
कन्नी काट लो सच से
देखेंगे बाद में
अभी क्या फ़र्क़ पड़ता है झूठ से
सब चलता है यार....
इस तर्ज़ पर सत्य टरका दिया जा रहा है
हो सकता है आने वाले दिनों में
’सत्य क्लिनिक’ खुलने लगें
जहाँ सिखाया जाए कि
कैसे साधें सत्य ,
सुहाने सच नाम का
म्युज़िक एलबम जारी कर
दें कंपनियाँ ,
एक वेबसाइट भी बन जाए
www.सत्य.com ,
कोई सत्यदेवजी महाराज
पचास हज़ार लोगों के लिये
सत्य के लाभ
नाम का विशाल शिविर भी लगा दें
तब भी कहता हूँ...
शर्तिया...
सत्य नहीं सधेगा
क्योंकि सच सिखाने वाले
एलबम बनाने वाले
शिविर लगाने वाले
सभी झूठे हैं
झूठ का पब्लिक इश्यू
अब हमेशा ओवर सब्सक्राइब होता रहेगा
’सत्य’ इंण्डस्ट्रीज़
पर ताले लगना तय हैं
बचेगा या दस्तेयाब होगा
यदि सच तो.....
किसी जवान लड़की की
चिंतित माँ की आँखों में
विदेश में जा बसे बेटे
के बूढ़े बाप के इंतज़ार में
बादलों के बरसने की प्रतीक्षा
करते किसान की विकलता में
या फ़िर उन सबके दिलों में
जो झूठ को क़ामयाब होते देख रहे हैं
और जानते हैं कि आख़िर जीत
तो सच की होगी।
3 comments:
झूठ इसी कारण बोला जाता है ताकि उसे सच मान लिया जाये.
प्रकाश की अँधकार पर विजय होनी ही है
पर कब ??
- लावण्या
क्या सच में जीत सच की ही होगी?
बस इसी कब को लेकर तो सारी व्यथा है.
ये जान पाते तो शायद सारे काम छोड़ कर
बस सच के पते चल देते हम सब.
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