रिज़ल्ट का मौसम वैसे ही शबाब पर आने वाला है वैसे ही जैसे आम पर कैरियॉं।
पास हो गए, मेरिट में आ गए और तीर मार लाए; शाबाश !
किशोद दा होते तो कहते के.बी.एच.( क्या बात है )
मॉं ख़ुश; मामा अभी से मायरा ले आए हैं;
दादाजी की आँखे भीग रही हैं; के.बी.एच. ।
मगर ये इश्तेहारों में मॉडल बनते मेघावी चिढ़ाते हैं।
अब देखियेगा हर इंस्टीट्यूट कहेगी ये बंदा हमारे यहाँ पढता था।
इंस्टीट्यूटें सेहराबंदी में लगेंगी । उसमें यह भाव नही होगा कि जियो मेरे लाल !
तुमने हमारी इंस्टीट्यूट को निहाल कर दिया।
मकसद यह रहेगा कि "पेरेंट्स' जान लो कि
हम ही तुम्हारे लाल को मेरिट से मालामाल करवा सकते हैं।
ऐसे अंक दिलवा सके हैं जो दूसरी कोचिंग से हासिल नहीं हो सकते हैं।
गोया "प्रोमो' चल रहा है।
पहले डी.वी. पलुस्कर का तिलक कामोद बजता था रेडियो पर
"कोयलिया बोले अमुआ की डागरिया' अब हिमेश रेशमिया गाएँगे
"मेरी कोचिंग ही कामयाब सॉवरियॉं'।
समझने और बूझने की बात "इत्ती' से है कि अब
ये मेघावी छात्र/छात्राएँ तो इश्तिहार में कामयाब होकर चल पडेंगे
अपनी मंज़िल की ओर लेकिन हमारी यानी कोचिंग इंस्टीट्यूट की
क़ामयाबी तो अब बेटा तुम्हारे भरोसे है क्योंकि तुमको नहीं भुनाएँगे
तो पापी पेट का क्या होगा।
जाओ हम तुम्हें बेहतरीन "मॉडल' का ख़िताब अता करते हैं ।
तुम्हे पता नहीं तुम हमारे लिये सोने का अण्डा देने वाली मुर्गी हो।
देखो मॉडलिंग फीस तो हम देंगे नहीं।
हम तुम्हारे गुरु ही नहीं सदगुरू हैं वीर बालक।
माया मोह में मत पड़ो; आगे बढ़ो।
आई.आई.टी. और इन्फ़ोसिस को लक्ष्य बनाओ। ख़ूब कमाओ।
मॉं बाबूजी को खिलाओ। फिलहाल तो हम तुम्हें मॉडल बनाकर ही छोड़ेंगे।
दुनिया को जान लेने दो यार कि हमने तुम्हें क़ामयाब बनाया है।
अब हज़ारों को बनाएँगे; उन्हीं भी यही नग़मा सुनाएँगे
हम होंगे कामयाब एक दिन।
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