Thursday, December 20, 2007

हरिओम शरण के बिन....सूनी भजनों की भोर

भारत के किसी भी कोने में सुबह आप अपना रेडियो सैट आँन कीजिये ...निश्चित रूप से कहीं न कहीं आपको हरिओम शरण की रूहानी आवाज़ सुनाई दे ही जाएगी। आज बड़े भारी मन से लिख रहा हूँ कि भक्ति-पदों का यह अनूठा गायक हमारे बीच नहीं है। लगभग चालीस बरसों तक अपनी खरज में डूबी आवाज़ से प्रभु-प्रार्थना का अलख जगाने वाले हरिओम शरण घर-घर में लोकप्रिय नाम थे।लाहौर में एक बार उन्होने अपने मोहल्ले में एक फ़कीर को गाते हुए सुना और बस हरिओम शरण को जीवन का पथ मिल गया। बाद में दिल्ली में आकाशवाणी के सुपरिचित स्वर विद्यानाथ सेठ से मुत्तासिर हुए और भक्ति संगीत को ही अपना जीवन लक्ष बना बैठे।

विविध भारती के लोकप्रिय कार्यक्रम रंग-तरंग जिसके प्रस्तोता अशोक आज़ाद हुआ करते थी ने सत्तर और अस्सी के दशक में हरिओम शरण के कई भक्ति पद प्रसारित किये। वह एक ऐसा दौर था जब कैसेट्स और सीडीज़ परिदृष्य पर उभर ही रहे थे लेकिन संगीतप्रेमियों का सच्चा आसरा तो रेडियो ही था। दोपहर दो बजे प्रसारित होने वाले रंग-तरंग ने ही हरिओम शरण,शर्मा बंधु, जगजीत सिंह,पंकज उधास,अनूप जलोटा,युनूस मलिक,मुबारक़ बेगम,मन्ना डे,महेन्द्र कपूर,सुमन कल्याणपुर,अहमद हुसैन-मोहम्म हुसैन,राजेन्द्र मेहता-नीना मेहता,राजकुमार रिज़वी की सुगम संगीत में पगी रचनाओं को देश के कोने कोने तक पहुँचाया। हरिओम शरण जी भी इस कार्यक्रम के नियमित गायक हुआ करते थे। मुरलीमनोहर स्वरूप जिन्होने बेगम अख़्तर के साथ हारमोनिय संगति की और अनेक सुगम संगीत रचनाओं की ध्वनि-मुद्रिकाएँ कंपोज़ की हरिओम शरण जी की रचनाओं को धुनो में बांधते थे।

मुझे दो बार इन्दौर में हरिओम शरण के कार्यक्रमों के सूत्र - संचालन का सौभाग्य हासिल हुआ। आखिरी बार वे लता अलंकरण में कार्यक्रम प्रस्तुत करने आए थे। मैने उन्हे बहुत ही सादा तबियत और भक्ति कें रंग में डूबा पाया। वे भगवा वस्त्र पहनते ही नहीं थे वैसी साधुता भी अपने स्वभाव में रखते से। हनुमान चालिसा उनका सबसे ज़्यादा बिकने वाला कैसेट रहा लेकिन प्रेमांजली और पुष्पांजली नाम के एलबम भी बहुत लोकप्रिय हुए। कबीर उनके चहेते कवि थे । जिन भजनों के अंतिम पद में आपको शरण शब्द सुनाई दे तो सजझ लीजियेगा कि ये हरिओम शरण जी का ही लिखा हुआ है।

दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया,मैली चादर ओढ के कैसे द्वार तिहारे आऊँ,निरगुन रंगी चादरिया ओढे संत-सुजान, ये गर्व भरा मस्तक मेरा प्रभु चरण धूल तक झुकने दे,श्री राधे गोविंदा मन भज ले हरि का प्यारा नाम है और जगदंबिके जय जय जग जननि माँ जैसे भजन दुनिया भर में उतने ही लोकप्रिय हैं जैसे ओम जय जगदीश हरे या हनुमान चालीसा । कविता और चित्रकारी में मन का आनंद ढूँढने वाले हरिओम शरण ऐसे गायक के रूप में याद किये जाएँगे जिन्होंने भक्ति संगीत को आदर दिलवाया।
पंचतत्व में विलीन हो जाने वाले हरिओम शरण का आत्म-तत्व आज भी शायद यही गुनगुना रहा होगा...
क्या है तेरा ...क्या हे मेरा
सब कुछ है भगवान का
धरती उसकी,अंबर उसका
सब कुछ उसी महान का।

हरि की शरण में जा चुके इस महान गायक को विनम्र भावांजली.

8 comments:

एक पंक्ति said...

इस संत-गायक को याद करने के लिये साधुवाद.

अजित वडनेरकर said...

शरण जी को याद करने और हमे याद दिलाने के लिए बहुत बहुत आभार । बचपन से आज तक मने में बसी है वही पवित्र पावन आवाज...
मुकुंद माधव , गोविंद बोल.....
अच्छी , सार्थक, आत्मीय पोस्ट

Yunus Khan said...

संजय भाई हरिओम शरण की आवाज हमेशा हमेशा हमारे साथ रहेगी । हमारी सुबहों को रूहानी बनाती और हमारे अस्‍त व्‍यस्‍त मन को संबल देती रहेगी

sanjay patel said...

शुक्रिया आप सबका.अजित भाई के साथ यह बात बाँटी थी कि ज़माने की फ़ितरत देखिये...राखी सावंत मीडिया में ज़्यादा मुक़म्मिल जगह पा रही है और हिन्दी के अधिकांश अख़बारों ने इस सर्वकालिक महान गायक को जगह नहीं मिल पाई.पंकज मलिक,विद्यानाथ सेठ,ज्युथिका राँय,और एम.एस सुब्बुलक्ष्मी की बलन के हरिओम शरण जितना हमारी आत्माओं को दीप्त किया क्या उसकी दूसरी मिसाल मिल सकेगी. वह दिन दूर नहीं जब भजनों के रीमिक्स बनने लगेंगे दलेर मेहंदी के पंजाबी पॉप के साथ.... इस पाप को घटता देखने से पहले हमे भी हरि की शरण में पहुँचा देना.

VIMAL VERMA said...

संजयभाई,आपने बहुत अच्छा लिखा हरीओम जी के बारे में, वाकई हम तो इन्हीं को सुनकर बडे हुए है,शरणजी की वजह से बहुत से भजन ्तो हमने पहली बार सुने थे,सार्थक पोस्ट के लिये साधुवाद

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

हरिओम शरण जी को श्रध्धाँजलि - व आपको साधुवाद - उन्हेँ याद करने के लिये और उन्हेँ सच्ची श्रध्धाँजलि देने के लिये
स स्नेह -लावण्या

स्र की कलम said...

sir, you are great

मीनाक्षी said...

हरिओम जी को याद करने और याद कराने का बहुत बहुत आभार.. मुझे याद है कि कितनी मुश्किल से छुपा कर उनकी कैसेट रियाद लेकर गए थे, उसी एक कैसेट के माध्यम से ईश्वर नाम लेने का हर सुबह आनन्द लेते थे.