अभी तो मौसम ने अपने तेवर दिखाना शुरू ही किया है..पानी की किल्लत बहुत जल्द नज़र आने वाली है.दरअसल होता ये है कि जब पानी समुचित होता है तब तो ख़ूब पानी बहाते हैं ...तब भूल जाते हैं कि आने वाले दिनों मे स्थितिया बहुत विकट होने वाले हैं ....जब मानसून आता है तब तो बहुत खुश होते हैं हम......ढोले जाओ ढोले जाओ......तब पानी बहुत मामूली चीज़ होती है हमारे लिए। कार धोते वक़्त याद नहीं कि पानी कि किल्लत पडने वाली है......बगीचे में बेतहाशा पाने डालते वक़्त भूल जाते हैं कि आने वाले दिनों में पानी की ये बर्बादी मुश्किलें पैदा कराने वालीं हैं....बेखबर से हम पाने को व्यर्थ किये जाते हैं ......और जब गर्मियां आतीं हैं तब हमारे पास निराशा कि अलावा और कुछ नहीं होता.......लोग कह रहे हैं...आने वाला विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा ...शायद ठीक ही कहते हैं........जैसे हम अपने पैसे,परिधान,व्यक्तित्व और सम्पत्ति के लिए चिंतित रहते हैं ....पानी के लिए भी वैसा ही सोच बनाने कि ज़रूरत है....खास कर नई पीढी में तो पानी की बचत की बात को एक संस्कार के रुप में स्थापित करने की शुरूआत करनी पडेगी.....बाद में तो हम यही कहते रह जाएंगे .........................एक था राजा ...एक थी रानी.....एक दिन कहना एक था पानी .
1 comment:
संजय जी
राजनीति से दूर रहने पर आपने सराहा। धन्यवाद ।
"एक था राजा ...एक थी रानी.....एक दिन कहना एक था पानी"
मैं आपकी बात से पूरी तरह से सहमत हूँ। मैंने १९८६ में भारत छोड़ा और
अब तक मैं पीने का पानी खरीद कर पी रही हूँ।
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