आज फ़िर मेरी बेटी एक और प्रतियोगी इम्तेहान में फ़ेल हो गयी.जब उसने इंटरनेट पर अपना रिज़ल्ट देखा तो वो निराश हुई. थोड़ी देर बाद वह तो अपने रूटीन में व्यस्त हो गयी लेकिन उसकी मां यानी मेरी श्रीमती कुछ ज़्यादा ही सुस्त नज़र आईं.खाना परोसते वक़्त भी उनका मूड कुछ उखड़ा हुआ ही रहा.मैने कारण पूछा तो कहने लगीं ..बिटिया पास हो जाती तो हम उसके करियर के प्रति आश्वस्त हो जाते . पांच साल में डाक्टर बन जाती.मैने कहा हमने पच्चीस साल पहले जब अपनी ज़िन्दगी का आगा़ज़ किया था तब हमारे माता-पिता तो इतने चिंतित तो नहीं थे कि हम अपनी जीवन नैया को कैसे चलाएंगे तो तुम अपने बच्चों के प्रति इतनी असहज और unsafe क्यों महसूस कर रही हो.वे ज़्यादा कुछ नहीं बोलीं लेकिन मैने उनके हाव-भाव से जान लिया कि वे दु:खी हैं..स्वाभाविक भी है उनका व्यवहार..लेकिन आप सच मानिये मै इस मामले में अपनी पत्नी से असहमत हूं.मेरा मानना है कि अब करियर के इतने ज़्यादा विकल्प मौजूद हैं कि बच्चा एकबार तय कर ले कि उसे किसी नई विधा में जाना है तो राह में किसी प्रकार की कोई रूकावट नहीं है. क्यों ऐसा ज़रूरी है कि हमारे समाज के सारे बच्चे डाक्टर , इंजीनियर , चार्टर्ड अकाउंटेंट ही बनें...कोई चित्रकार,लेखक,संगीतकार क्यों नहीं बनना चाहता. हमें समझना पडे़गा कि हर बच्चे की अपनी एक निजी प्रतिभा होती है...हम ( या बच्चे भी) नाहक ही देखा देखी में चाहते हैं कि हमारा बच्चा भी को बेहतरीन करियर चुन ले.लेकिन ऐसा होत नहीं है...हम तो बच्चे के हितैषी होते ही हैं लेकिन समाज का माहौल भी उसे बहुत विचलित करता है.उसके दोस्त,अख़बारों मे छ्प रहे कोचिंग इन्स्टीटूट्स के रंगीन इश्तेहार उसके मन में एक विचित्र और मनोवैग्यानिक विचलन पैदा करते हैं ..उसका मासूम मन द्वंद की मनोस्थिति में आ जाता है..वह अपने आपको उसके सह-पाठियों से तौलने लगता है.इस स्थिति में उसे एक हमदर्द की सख्त़ ज़रूरत है.उसके मित्र बन जाईये...श्रीमतीजी जब सो गयी तो मैने बहुत प्यार से बिटिया से बात की और कहा कि एक इम्तेहान तुम्हारी ज़िन्दगी का पूरा फ़ैसला नहीं कर देगा. हालातों से हारोगी तो चलेगा ...लेकिन अपने आपसे मत हारना. मेडीकल में सफ़ल नहीं हो पाईं तो क्या हुआ कुछ और try करो.तुम्हारे सामने पूरा आसमान खुला है. आज से ही किसी नये विचार को मन मे पल्लवित होने दो...चाहोगी तो ज़रूर कुछ कर गुज़रोगी.अपने हौसले को ठंडा मत पड़्ने दो . चाह रही तो ...राह भी मिल जाएगी.
मैं इस चिट्ठे के ज़रिय आपसे भी यही प्रार्थना करना चाह रहा हूं...यदि आपके बच्चों ने दसवीं या बारहवीं का बोर्ड एक्ज़ाम दी है तो जल्द ही उसका रिज़ल्ट आने वाला है...भगवान से प्रार्थना करता हूं कि वो अच्छे नम्बरों से पास हो...अन्य competitive exams में भी क़ामयाब रहे..लेकिन खु़दा न खा़स्ता वह अच्छा नहीं कर पाता है निराश होने की आवश्यकता नहीं...धीरज रखिये...उसे हिम्मत दीजिये..नये विकल्पों पर नज़र रखिये...बच्चों को हमारे संग-साथ की बहुत दरकार होगी इस समय.please be very caring with them. उन्हे अवसाद से बचाना है हमें..वे आज हौसला रख लेंगे तो सुख का सुरज ज़रूर ऊगेगा.वो सुबहा ज़रूर आएगी.आमीन.
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