ब्लॉगर का ख़ामोश रहना है ज़रूरी
जितना बोलना,लिखना और गुनना
ब्लॉगर को चाहिये की वह अंतराल का मान करे
वाचालता को विराम दे
चुप रहे कुछ निहारे अपने आसपास को
ब्लॉगर का दत्तचित्त होना है लाज़मी
वाजिब बात है ये कि जब लिख चुके बहुत
तो चलो कुछ सुस्ता लो
सफे पर उभरे हाशिये की भी अहमियत है
चुप रहना सुस्त रहना नहीं है
चुप्पी में चैतन्य रहो
अपने आप से बतियाओ
नज़र रखो उस पर जो लिखा जा रहा है
सराहने का जज़्बा जगाओ
पढ़ो उसे जो तुमने लिखा
दमकता दिखाई दे अपना लिखा
तो सोचो और कैसे दमकें तुम्हारे शब्द
पढ़ो उसे जो तुमने लिखा
दिखना चाहिये वह नये पत्तों सा दमकता
कुछ सुनहरी दिखें तुम्हारे शब्द
तो अपने में ढूँढो कुछ और कमियाँ
कमज़ोर नज़र आए अपने हरूफ़
सोचो मन में क्या ऐसा था जो जो गुना नहीं
आत्मा ने क्या कहा जो ठीक से सुना नहीं
विचारो कि कहाँ हुई चूक,कहाँ कुछ गए भूल
क्या अपने लिखे शब्दों से ठीक से नहीं मिले थे तुम
ब्लॉगर बनना आसान नहीं
लिखे का सच होना है ज़रूरी
वरना कोशिश है अधूरी
कविता नहीं है ये ; है अपने मन से हुई बात
बहुत दिनों बाद अपने से मुलाक़ात
12 comments:
बहुत सटीक लिखा है संजय भाई । मेरे सरीखे कई लोगों के मन की बात
बहुत सलीके से आपने कह डाली है। बेहद खूबसूरत और अर्थपूर्ण
हैं ये पंक्तियां-
नज़र रखो उस पर जो लिखा जा रहा है
सराहने का जज़्बा जगाओ
पढ़ो उसे जो तुमने लिखा
दमकता दिखाई दे अपना लिखा
तो सोचो और कैसे दमकें तुम्हारे शब्द
नेट पर हिन्दी तभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी जब शब्द व्यर्थ न जाएं।
बधाई...
बहुत खूब...दिल की बात कह दी आपने संजय भाई। सक्रिय रहने का मतलब ये नही् कि धड़ाधड़ लिखते रहें। अपनी बातों में और निखार लाना, दूसरों को समझना और ब्लागिंग के इतर नया कुछ पढ़ना भी उतना ही जरूरी है।
संजय भाई साहब
आजकल क्वालिटी का जमाना नहीं रहा, क्वांटिटी का है, काश आपकी/का यह कविता या सुझाव पढ़ने के बाद हिन्दी चिठ्ठाकार गुणवत्ता पर भी ध्यान देंगे।
बधाई
वाह संजय भाई । बिल्कुल मौजूं बात ।
धड़ाधड़ी की बजाय अगर थोड़ा रूकें । दूसरों को पढ़ें ।
सोचें गुनें बुनें और फिर आगे बढ़ें तो इसका आनंद संपूर्ण है ।
बहुत सही लिखा संजय जी आपने!!
वाचाल होते तो लिखते कैसे रोज रोज!
आप सभी का शुक्रिया. पाण्डेयजी का प्रश्न जायज़ है किन्तु मेरी बात में वाचालता से आशय अतिरेक से था. भगवान ने जिसको जैसी तासीर दी है वह तो उसी के मुताबिक चलेगा न.ये पंक्तियाँ आत्मकथ्य ही तो हैं जो ब्लाँगिंग का ख़ास मक़सद है. मन की बात सबके साथ ..चाहे कोई राज़ी हो न हो.
क्या बात है संजयभाई, बिल्कुल मन की बात लिख दी है आपने... शब्दों पर पकड़ अच्छी है आपकी. और विचार तो माशा अल्ला क्या कहने हैं
सत्य वचन संजय जी॥हम जैसे नये ब्लोग्रों के लिए बहुत जरूरी॥धन्यवाद
उम्दा
क्या बात है! सटीक सिखावन .
सटीक है मन की बात!!!पूरी तरह सहमत हूँ. लिखने से ज्यादा पढ़ना जरुरी है.
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