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मल्हार के रंग में भीगे इन चार गीतो को रचा है संगीतकार रौशन साहब(बरसात की रात)पं.वसंत देसाई(गुड्डी) और राजकमल(चश्मेबद्दूर) ने.सुनते वक़्त संगीत के इन बेजोड़ कारीगरों के काम पर ख़ास तवज्जो दीजियेगा.
मौसीक़ी और प्रकृति का संबध अदभुत है.मानसून के शबाब पर आने पर ये अतिरिक्त रूप से मधुर हो उठता है..आप भी सुनिये और महसूस कीजिये कि दीगर दिनों जब आप ये गीत सुनते हैं तो क्या महसूस होता है और ऐन बरसात के मौसम में ये गीत क्या जादू करते हैं....
आपके शहर में भी ख़ूब आनंद दे इस साल की बारिश...दुआएँ मेरी ढेर सारी.
(चित्र गूगल सर्च के सौजन्स से)
10 comments:
वाह-वाह संजय जी, मजा आ गया, काश यूं ही गीत बरसाते रहें।
apki post ke sath sath barish ka bhi swagat hai .
ये सारे,बरखा की रीमझीम मेँ भीगे, गीत बहुत पसँद आये.सुनवाने का और बरसात को न्योता देनेका तरीका भी भाया --
bahut hi achchey geet hain...aur khaas kar 'garjat barjat' mujhe bahut pasand hai--bahut dino baad suna---itni sundar geeton ke liye dhnywaad...yun to yahan [UAE]barsat nahin hoti--lekin aap sab ke saath aise hi hum bhi barkha ko mahsuus kar anand le rahe hain..isliye bhi..maine aaj hi 'megha chhaye '..geet gaa kar record kiya hai--kal blog par post karungi..
वाह, बहुत उम्दा गीत लाये हैं.
Sanjaybhai
Nice songs. Thanx.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
संजय जी बिल्कुल मौसम के अनुरूप गीत है।
इन्हे सुनते हुए बारिश का आनंद और भी बढ़ जाता है।
शुक्रिया।
सभी गीत बहुत प्यारे हैं ..सावन आ ही गया अब लगता है इनको सुन कर
भाई वाह,भीगे मौसम में इन गीतों को सुनना! क्या बात है आपने तो दिन बना दिया...बहुत बहुत शुक्रिया.
आप सब भी इन गीतों में भीगे...शुक्रिया आपका.
ये सोचकर मेरा मन भी भीग गया इन गीतों के बनने के इतने सालों बाद भी अच्छी शायरी,गायकी और मौसीक़ी के दर्दी कम नहीं हुए हैंआपकी ये टिप्पणिया इन गीतों से जुड़े तमाम फ़नकारों के प्रति एक आत्मीय आदर भी तो है.
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