अपुन बोले तो ?
जाहिल , गँवार , सनकी सोल्जर
काम का न काज का
दुश्मन अनाज का
खाएगा-पियेगा कुछ नईं
खाली पीली बोम मारने का
अपुन के देश के
सबसे बडी़ पोश्ट का चुनाव
दो बुज़ुर्ग लगा हे काम पे
देश लाम पे
काई कू पचडा़ मे पड़ता रे ये लोग
एसी कोन सी माया मिल जाती हे रे
खासम खास बनके
किसी से मिलने का नई
चोराए पे चाय पीने का नई
मोहल्ले की बेटी में लगन में
जाने का नई
गरबा गाने का नई
गनपति लाने का नई
काय के खासम खास...
बकवास...
एक तो जीतेगा
ये तो नक्की हे रे
हारेगा दूसरा ?
नई रे
हारेगा हम...तुम
जो मईना भर मरता
पचता...
बच्चे का फ़ीस टेम पे नई भरता
बीवी को सिनेमा नई दिखाने ले जाता
पुलिस से डरता
क़ानून से डरता
शराफ़त से रेता
हमकू ज हारने का रे
हम कोन ?
भारत का आम जनता
हमारे पीछे कोने रोने वाला
इनकू चुनाव में याद आता
हम इनका माई-बाप बन जाता
क्यों करने का चिंता
कोन जीतेगा
कोन बनेगा सदर
अपनी तो वोई च लोकल ट्रेन
वोई टिफ़िन का डिब्बा
वोई ठंडा लंच
वोई सुबह आठ से रात आठ
तीज न त्यौहार
संडे न मंडे
हर लम्हा रोटी की चिंता का कारोबार
हारेगा हम...आप
क्योंकि ये मुलूक हमारा
हम इसके वासी
ये हमारा मादरे वतन
हमारे पहली मुहब्बत
और करो मुहब्बत
मुहब्बत में तो हारना ई च पडता
हम हें इंडिया
हमारे दम से इंडिया
हारो इंडिया हारो !
2 comments:
सही है-बढ़िया लिखा.
लिखा एकदम सही है
पर ये बतायेँ कि "बम्बइया हिन्दी " कैसे सीखी ?
लिखती रहेँ ~~
स स्नेह,
-- लावण्या
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