Wednesday, July 25, 2007
क्रिकेट कोच के लिये एक अचूक समाधान
देखिये मैं रहता हूं रायबहादुरों के शहर इन्दौर में.उपाधियाँ तो उनके साथ ही चली गईं जिन्हे दी गईं थीं.अब रह गए हैं हम जो बिन पूछे ही राय देते रहते हैं तो इस लिहाज़ से हम भी तो थोड़े बहुत रायबहादुर हो हे गए न ? मनुष्य,परिवेश,शहर,राज्य या राष्ट्र जब संकट में हो तो हमारा फ़र्ज़ भी तो बनता है कि हम अपनी ओर से कुछ योगदान दें ..बहुत दिनों से अख़बारों में पढ़ रहा हूँ कि भारतीय क्रिकेट टीम के लिये एक अदद कोच नहीं मिल रहा ! दिमाग़ पर ज़ोर डाला तो अपने पिटारे में अमोघ शस्त्र की तरह एक समाधान मिला.आप और माननीय पँवार साहब मुलाहिज़ा फ़रमाएँ ...जँचे तो उपयोग में लाएँ..राष्ट्रवादी संगठन एकदम प्रसन्न हो जाएँ (ख़ुश नहीं...उर्दू का शब्द है ) नितांत स्वदेशी समाधान है.
करना कुछ नहीं है नीचे दिये गए विभागों की सार सम्हाल के लिये पूर्व खिलाडियों या साज़िश (साँरी षड़यंत्र) के तहत टीम से निकाले गए खिलाडि़यों (यथा:इरफ़ान पठान,सुरेश रैना,मों.कैफ़,मुरली कार्तिक आदि)की नियुक्ति करना है.ध्यान इतना ही रखना है कि हर विभाग के लिये एक एक कोच रखना होगा..इस तरह से कुल ....कोचेज़ की नियुक्ति हो जाएगी.टोटल अभी इसलिये नहीं किया कि अभी राय देने के मूड में हूँ और गणित (जो कि मेरा कमज़ोर विषय रहा है) रचनात्मक प्रकल्पों मे विघ्न डालता है...तो साहेबान,मेहरबान देखिये नीचे वाली सूची को ....
-बैटिंग कोच
-फ़ास्ट बाँलिंग कोच
-स्पिन बाँलिंग कोच
-आँफ़ साइड फ़िल्डिंग कोच
-आँन साइड फ़िल्डिंग कोच
-क्लोज़ इन फ़िल्डिंग कोच
-विकेट कीपिंग कोच
-फ़िटनेस कोच
-केप्टन को गाइड करने वाला कोच
-वाइस केप्टन को गाइड करने वाला कोच
-ट्वेल्थमेन को गाइड करने वाला कोच
इस तरह से आप देखेंगे और देखना भी चाहिये (आख़िर देश की इज़्ज़त का सवाल है) कि हर विभाग के लिये एक ज़िम्मेदार व्यक्ति की नियुक्ति हो जाती है तो कोई अकेला कोच नहीं कह सकेगा के ग़लती मेरी नहीं है.इससे देश के पुराने और समय से पहले रिटायर्ड हो चुके (या कर दिये गए) खिलाड़ियों को रोज़गार मिलेगा...ग्यारह लोगों की नियुक्ति निश्चित रूप से ख़र्चे का सौदा है लेकिन शर्तिया कहता हूँ एक विदेशी कोच की से सस्ता है..हर हाल में सस्ता है! और कितना ताज़ा है सर !रिलायंस फ़्रेश की तरह .देखिये अजीत वाडेकर,बापू नाडकर्णी और हेमू अधिकारी के बाद जब पहली बार जाँन राइट या ग्रेग चैपल की नियुक्ति की गई तब भी तो तकलीफ़ आई थी न ? तो ये अलहदा नया-नकोरा विचार थोड़ा रिस्की ज़रूर प्रतीत होता है लेकिन देखियेगा कि काँसेप्ट चल ही नहीं निकलेगा ट्रेंड सैटर भी साबित होगा...आपने किया..पीछे पीछे दूसरे देश भी इसे फ़ाँलो करेंगे.ज़रा सोचिये (प्लीज़) क्या नज़ारा होगा एयरपोर्ट पर कि क्रिकेट टीम के साथ ग्यारह कोच भी उतरेंगे वर्ल्ड कप लेकर..हाल-फ़िलहाल तो ये सपना लगता है (महामहिम कलाम साहब कहते भी तो हैं न कि सपने देखना चाहिये)लेकिन साकार ज़रूर हो सकता है .पँवार साहब कर डालिये इस विचार को साकार.आप रातों रात इस काँसेप्ट के अविष्कारक कहलाएंगे (एक ख़ालिस भारतीय के रूप में मुझे इस विचार के लिये कोई राँयल्टी नहीं चाहिये ! ) गणेश उत्सव नज़दीक आ रहा है ...मंगलमूर्ति का ध्यान कर इस शुभ विचार का मंगलाचरण कर ही दीजिये..और कोच को लेकर सारी अटकलों को विराम दे दीजिये !
( टीप>जैसे उर्दू ग़ज़ल में रिवायत है कि किसी भी नई रचना को किसी उस्ताद से पहले जँचवा लेते हैं ; उसे इसलाह करना कहते हैं . मै उस्ताद आलोक पुराणिक से गुज़ारिश करूंगा कि वे इस विचार की इसलाह कर दें बडी़ कृपा होगी ..उनके मुरीदों में यदि कोई पढे़ तो उन्हे ख़बर कर दे जिससे इस देश की एक राष्ट्रव्यापी समस्या का समाधान अविलंब निकल आए...मैने भी ठान रखी है कि जब तक उस्ताद जी इसकी इसलाह करने की ज़हमत नहीं उठाते मैं ये काँसेप्ट माननीय पँवार साहब को फ़ाँरवर्ड नहीं करूंगा )
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4 comments:
देखिये आप बिलकुल 100% रायबहादुर बन सकते है
इसके लिये आप हमे अपने बारे मे (अपने और अपने परिवार की महानता के बारे मे)सारी जानकारी के साथ 1000 डालर के एक ड्राफ्ट के साथ हमे भेज दे जल्द् ही हम आपको रायबहादुर् घोषित करते हुये एक प्रमाण पत्र भेजेगे.फिर अगर कोई आपको रायबहादुर मानने से मना करे तो हमारा मेल आई डी थमा दे हम आपसे एक मेल की दूरी पर हमेशा रहने का वचन देते है पैसे मिलते ही..:) रायबहादुर प्रामाणिक संस्थान टीम्
यहा भी देखे http://pangebaj.blogspot.com/2007/06/blog-post_11.html
और जो फोटो में छोटा क्रिकेटर है वो भी कोचिंग दे सकता है.
हमारे सिलेक्टर्स को, बिना भेदवाव के सिलेक्शन करने की.
वाह भाई रायबहादुर-आप तो बम्बई हो आईये. कहाँ इन्दौर में बैठे हैं.
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