Thursday, April 3, 2008

राजकुमार केसवानी की कविताएँ…जिनमें व्याख्यान नहीं ; संगीत सुनाई देता है !


राजकुमार केसवानी
देश के जाने-माने पत्रकार और कवि हैं.उनकी शख़्सियत का सबसे उजला पहलू है उनका स्वाध्यायी होना..1984 के भीषणतम भोपाल गैस त्रासदी की ढाई वर्ष पहले से लगातार चेतावनी देते रहने के पुरस्कार स्वरूप राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय
स्तर पर सराहना. श्रेष्ठ पत्रकारिता के लिये बी.डी.गोयनका पुरस्कार.इन वर्षों में न्यूयॉर्क टाइम्स,इलस्ट्रेटेड वीकली,संडे,संडे आब्ज़र्वर,इंडिया टुडे,इंडियन एक्सप्रेस
द एशियन एज,ट्रिब्यून,आउटलुक,द इंडिपेंडेट,द वीक,न्यूज़ टाइम,जनसत्ता,नवभारत टाइम्स और दिनमान जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशनों में अपनी शर्तों पर काम.

1998 से 2003 तक एनडीटीवी के मध्य-प्रदेश छत्तीसगढ़ के ब्यूरो प्रमुख.फ़रवरी 2003 में दैनिक भास्कर इन्दौर संस्करण के सम्पादक.हाल फ़िलहाल
दैनिक भास्कर समूह में ही सम्पादक(मैग्ज़ीन्स) रविवारीय रसरंग को सजाने-सँवारने मे ख़ास भूमिका. जिसमें कंटेट और भाषा (ख़ासकर उर्दू) की शुध्दता
के लिये शिद्दत से काम.

अपनी धुन के पक्के राजकुमार केसवानी अपनी साफ़गोई के लिये जाने जाते हैं.बनावट उन्हें पसंद नहीं ऐसा प्यारा सखा कि एक बार आपको दिल में बसा लें तो
आपके सुख-दुख में हमेशा साथ खड़ा नज़र आए.इन दिनों रसरंग में ही आपस की बात शीर्षक से लाजवाब स्तंभ लिख रहे हैं जो सुहाने और सुनहरे बीते कल की याद
दिलाता है.

ये कविताएँ राजकुमार केसवानी के काव्य-संग्रह बाक़ी जो बचे से.कवि लीलाधर मंडलोई उनकी कविताओं में ठीक ही कहते हैं......मितकथन राजकुमार केसवानी
का गुण है.स्थानीयता उनकी पूँजी.कहन में सादगी.भाषा में गहरी लय और संगीत.वे तफ़सीलों में कम जाते हैं कविता में व्याख्यान की जगह वे भाव को तरज़ीह देते हैं.राजकुमार केसवानी की कविताओं में मनुष्य फ़ोटोग्राफ़िक नहीं अपितु सिनेमैटिक लैंग्वेज में मूर्त होता है.


अतीत की जुगाली करने वाले और आने वाले को तस्लीम करने वाले राजकुमार केसवानी की कुछ और कविताएँ एक और क़िस्त में जारी करूंगा....
फ़िलहाल ये मुलाहिज़ा फ़रमाएँ.............


जब वह सच जानेगा



मेरा बेटा
मुझे मानता है
सर्वसमर्थ
सर्वशक्तिमान

उसने चाहा जब-जब
मैंने लाकर दी उसको
बिस्किट, चॉकलेट, टॉफ़ी

उसने मांगी एक बार
दो पहिए की साइकिल
और उसे
वह भी मिल गई

उसने चाहा मनाना
अपना बर्थ डे
बुलाकर दोस्तों को घर
और ऐसा भी हो गया

इन सबके बाद
उसे लगता है
पापा कुछ भी कर सकते हैं

उसको अभी तक
पता नहीं है
चॉकलेट और बर्थ डे पार्टी के बाहर की दुनिया में
उसके पापा
उतने ही असमर्थ
उतने ही लाचार हैं
जितना
सड़क के इस पार के
बाक़ी सारे लोग

मन से मन

एक बात ऐसी हो
जो मैं कह न सकूं
और वो जान जाए

एक बात ऐसी हो
जो वो कहने को मुंह खोले
और मैं जान जाऊं

बात तो तब है
जब हम दोनों कुछ न कहें
और लोग आपस में कहें
इन दोनों की तो क्या बात है !

पर क्या करूं ?

बचपन में
मेरे पास
सिर्फ़ बचपन था
और वह
सबको अच्छा लगता था

बुढ़ापे में अब
मेरे पास
रह गया है
सिर्फ़ बचपना
और वह
किसी को अच्छा नहीं लगता

वे बोलते कम हैं

इस शहर के लोग
सुनते कम हैं क्या?

नहीं, नहीं
लगता है
सुनते सब हैं
मगर ज़रा,
बोलते कम हैं

इस शहर के लोगों को
दिखता कम है क्या?

नहीं, नहीं
लगता है
दिखता सब है
मगर ज़रा,
बोलते कम हैं

इस शहर के लोग
क्या पहचानते नहीं हैं सच को?

नहीं, नहीं
लगता है
पहचानते ख़ूब हैं
मगर ज़रा
बोलते कम हैं

तो फ़िर
इस शहर का नाम
उस शहर से क्यों है अलग?

उस शहर के लोग भी
सब कुछ सुनते हैं
सब कुछ देखते हैं
सब कुछ जानते हैं
मगर वे भी
बोलते ज़रा कम हैं



आख़िर कैसे?

मेरा पता
लगभग हर साल बदल जाता है।
कभी ४६२००१
कभी ४५२००२
कभी ४०००१३
कभी ये
कभी वो
नहीं बदलता
तो बस ये बदलना

अच्छे भाई, समझा चुके हैं कई बार
मियां, ख़ुद को बदल लो
वरना ये पता बदलता ही रहेगा

घर

घर कभी ख़ाली नहीं रहता
उसमें अक्सर होते हैं
घरवाले
और जब कभी
वे जाते हैं बाहर
वह भरा रहता है
उनके वापस आने की उम्मीदों से

11 comments:

Yunus Khan said...

संजय भाई अक्तूबर और दिसंबर में म0प्र0 की यात्राओं के दौरान भास्कर में राजकुमार केसवानी को पढ़ा । फिर वे पहल में भी नज़र आए । बेहद संवेदनशील और उत्कृष‍ट कवि हैं । क्‍‍या संपर्क का सूत्र दे सकते हैं मेरे मेल पर

अमिताभ मीत said...

बहुत बढ़िया कवितायें भाई. आभार इन्हें हम तक पहुंचाने का. बहुत उम्दा. वाह !

sanjay patel said...
This comment has been removed by the author.
sanjay patel said...

राजकुमार भाई से बात करने के लिये कई मित्र इच्छुक हैं उनका ई-मेल आई डी है: rkeswani100@gmail.com और मोबाईल नम्बर:09827055559 . आपकी जानकारी के लिये ये भी बता दूँ राजकुमार भाई के पास विश्व - सिनेमा की बेस्ट क्लासिक फ़िल्मों के वीएचएस कैसेट्स,दुर्लभ हिन्दी फ़िल्मी और ग़ैर फ़िल्मी (78 आपीएम) रेकॉर्ड्स का लाजवाब ख़ज़ाना है.गुज़रे ज़माने के फ़िल्म-कलाकारों,संगीतकारों और गायक - गायिकाओं के बारे कई अनसुनी जानकारियाँ भी उपलब्ध हैं.वे अपने को जताते/बताते कम हैं और हम मालवा वालों के अपेक्षा ज़रा भी आत्ममुग्ध नहीं रहते वे. एक बेहतरीन इंसान हैं राजकुमार केसवानी.

Sanjeet Tripathi said...

बेहतरीन!!
रसरंग में इनका कॉलम रेगुलर पढ़ता हूं, शानदार है!!

बलबिन्दर said...

केसवानी जी का, संजय-मान्यता पर लेख बहुत पसन्द आया था, भास्कर में

Yunus Khan said...

शुक्रिया संजय भाई । नंबर उपलब्‍ध कराने के लिए

Udan Tashtari said...

बहुत खूब याद दिलवाया और बेहतरीन पढ़वाया...बहुत आभार.

डॉ. अजीत कुमार said...

राजकुमार केशवानी जी से मेरा परिचय दैनिक भास्कर समूह से निकलने वाले पत्रिका " अहा! ज़िंदगी" में छपने वाले परिशिष्ट ’रिवर्स गियर’ में अपनी अलग अलग प्रकार की रचनाओं के जरिये हुआ. उनका कवि के रूप रूप से मैं अनजान था, परिचय के लिये धन्यवाद.

गूगल मित्र said...

sir jee, keswani ji ke cell no mein ek dizit kam hai. de den to phone par hi kalam choom loon
alok tomar

sanjay patel said...

आलोक भाई मोबाइल नम्बर तो ठीक ही है.एक बार कोशिश कीजिये न. नहीं तो मेरे मोबाइल पर एक मैसेज दीजिये (098268-26881)जिससे मैं राजकुमारजी के मोबाइल नम्बर का बिज़नेस कार्ड (जिससे आपके पास जस का तस नम्बर पहुँच जाए)भेज दूंगा.