नज़दीक आ रहा है स्वाधीनता दिवस ...इस बार ये विशेष है ..दो वजहों से। एक : प्रथम स्वातंत्र्य संग्राम( १८५७ ) की १५० वीं वर्षगांठ मनाने का साल है ये । दो: स्वाधीन भारत (१९४७) के साठ वर्ष वर्ष भी पूर्ण हो रहे हैं इसी पन्द्रह अगस्त को .ब्लाँग के साथ एक डिज़ाइन डिसप्ले की शक्ल में जारी कर रहा हूँ ..उम्मीद है आप सब इसे संक्रामक बनाएंगे ..कोई रोक-टोक नहीं है ..कॉपी कीजिये और वापरिये इसे.ईमेल कीजिये ..प्रिंट निकाल कर घर- दफ्तर प्रदर्शित कीजिये। ये समय है उन शहादतों को याद करने का जिनकी वजह से हम आज़ाद वतन में खुली साँस ले रहे हैं.हमें तय करना होगा कि हमारे दिल में हमें किस सितारों को जगह देनी चाहिये.उन्हें जो करोड़ों में खेल रहे हैं या उन्हे जिन्होने देश की आज़ादी के लिये अपनी जान की परवाह नहीं की.मेरी क्रिएटिव टीम की रचना-प्रक्रिया और मेरे दिल से निकले स्फ़ूर्त विचार या जज़बात को आपकी तवज्जो की सख़्त ज़रूरत है.आपके प्रतिसाद से ये भी तय होगा कि क्या मैं ठीक सोच रहा हूँ या ये मेरी अति-भावुकता है.
दोस्तो ! वक़्त कुछ ऐसा चल रहा है कि हर माँ-बाप अपने बेटे-बेटी को सचिन - सानिया बनाना चाह रहे हैं और यदि देश के लिये क़ुरबान होने वाले भगतसिंह की ज़रूरत हो तो कहने लगते हैं हमारे पडौसी का बेटा है न पींटू उसे देख कर लगता है कि जन्मजात फ़ौजी है.दोहरे मानदंण्डों की हमारी भारतीयता कहाँ खडी़ है सोचिये.मुझे ब्लाँगर बिरादरी की संजीदगी पर अपने से ज़्यादा विश्वास है..भारत माता की जय !
दोस्तो ! वक़्त कुछ ऐसा चल रहा है कि हर माँ-बाप अपने बेटे-बेटी को सचिन - सानिया बनाना चाह रहे हैं और यदि देश के लिये क़ुरबान होने वाले भगतसिंह की ज़रूरत हो तो कहने लगते हैं हमारे पडौसी का बेटा है न पींटू उसे देख कर लगता है कि जन्मजात फ़ौजी है.दोहरे मानदंण्डों की हमारी भारतीयता कहाँ खडी़ है सोचिये.मुझे ब्लाँगर बिरादरी की संजीदगी पर अपने से ज़्यादा विश्वास है..भारत माता की जय !
5 comments:
मेरे भाई ,भारत छोड़ो का आह्वान १९४२ में हुआ था । नये औपनिवेशीकरण को भी इस मौके पर समझना होगा।
जय, जय, जय हो!!
सहमत!
भारत माता की जय!
--बिल्कुल जी.
जी समहमत हूँ... वास्त्विक सेलीब्रिटी तो यही हैं।
जहाँ तक फौजी बनने का सवाल है... आप किसी फौजी से कहिए कि आपका बेटा फौजी बनना चाहता है तो वो शख्स तपाक से कहेंगे.. अर्रे साहब क्युँ अपने बेटे के जान के दुश्मन बने हो?
या कहेंगे अगर आपका बेटा भ्रष्ट है, अत्याचारी है तो उसे फौज मे भर्ती करा दो, नेक बन्दा है तो रहने देना... मै ऐसा इसलिये कह रही हूँ क्युँकि मेरी बहन को भी फौज अच्छा लगता है, और वो हमेशा कहती है कि मै इसी क्षेत्र मे जाऊँगी... पर अभी तक मुझे जितने फौजी मिले मुझे यही सुनाते हैं...। मैने 90% यही देखा है कि एक फौजी अपने बेटे को फौज मे जाने से रोकता ही है, ऐसे मे कोई माँ-बाप अपने बच्चे को आराम से मरने के लिये कैसे भेज देगा... अगर हमे वास्तव मे फिर से देश को गौरवशाली बनाना है, तो पहले अपनी अवधारणाये बदलनी होंगी, तभी फिर घर-घर के बच्चे देश के लिये पैदा होंगे।
जय हिन्द
" Shaheedon ki chitaaon pe,
na lagaao mahaj mele;
taiyyaar karo wo peedhee,
jo unkee jagah lele !"
-Bhairav Pharkya,
SanRamon,California,
U.S.A.
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