Tuesday, August 14, 2007

हैलो हाय न बोलिये...वंदेमातरम फ़िज़ाँ में घोलिये !

कल यानी १५ अगस्त के दिन इतना तो कर ही सकते हैं हम सब। अपने रिश्तेदार/ दोस्तो को फ़ोन कर के आज़ादी की ६० वीं वर्षगाँठ की मुबारकबाद तो दे ही सकते है। मिठाई भी बाँटे तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं । हैप्पी न्यू ईयर और हैप्पी दिवाली/हैप्पी होली/हैप्पी ईद के साथ एक दूसरे को वंदेमातरम बोलने का सिलसिला भी तो हम शुरू कर सकते हैं...कहते हैं न बाँटने से बढ़ता है प्यार...तो इस बार क्यों न बाँटें उस प्यार जो हमें वतनपरस्त होने का सुक़ून देता है। आख़िर इसी प्यारे मुल्क ने ही तो है हमें पहचान दीं है कि हम गर्व से कह सकें कि हम हैं भारतीय....और हाँ ये भी किजीये कि आपको आने वाले हरा एक फोन पर हैलो न बोल कर (अजी जनाब आज से ही प्रारंभ कर दें तो कौन से छोटे हो जाएंगे) वंदेमातरम बोल कर देखिये तो सही ! आपकी आवाज़ सुनने वाला भी प्रसन्न होगा और प्रेरित भी।
तो चलिये शुरूआत आप और मैं ही करते हैं...अभी से....नेक काम में देरी कैसी...
वं दे मा त र म !

6 comments:

Arun Arora said...

भाई साहब काहे ऐसी राय दे रहे हो ..हमारा देश विश्व का इकलौता देश है जहा देश का नागरिक राष्ट्रगान ना गाने से मना करने के लिये आजाद है..और इस धरा के प्रति नमन करना..वन्देमातरम गाना या इस शब्द का उच्चारण करना..ये तो आपने फ़िर से निक्कर (सो काल्ड हाफ़ पेंट) वालो की जमात मे खुद को शामिल होने की बात करदी है..हेल्मेट लेकर बैठिये आते ही होगे धर्म निरपेक्षता वादी ..:)वन्देमातरम,आपके साहस को,आपको और सभी भारत देश के नागरिको को मेरा वंदेमातरम ...

Sanjay Tiwari said...

वंदे मातरम्

mamta said...

वंदे मातरम् !!

Udan Tashtari said...

वंदेमातरम!!

sanjay patel said...

अरूणभाई...हमने ऐसी मान्यताएँ क्यों बना डाली हैं कि वन्देमातरम किसी की बपौती बने.मै कहता हूँ कोई ऐसा करता हो तो हमें और ज़ोर ज़ोर से कहना चाहिये वंदेमातरम.मै किस जमात का हूँ ये तो मेरी आत्मा तय करेगी अरूण भाई....धर्मनिरपेक्ष लोगों को ज़्यादा मुखर होना होगा और अपनी भारतभूमि का वंदन करना चाहिये..और ये डर भी मन से निकालना होगा कि हम वंदेमातरम कहेंगे तो किसी वर्ग विषेश को नाराज़ करेंगे. मातृ-भूमि का वंदन किसी का ब्राँड नही हो सकता और न उसका कोई पेटेंट हो सकता है.

Sanjeet Tripathi said...

वंदेमातरम!!